बांका जिला के कटोरिया स्थित मेढागांव की निवासी प्रगतिशील किसान वंदना कुमारी ने पानी को संरक्षित कर सब्जी उगाने और पशुओं के लिये हरे चारे के उत्पादन की नई कार्यपद्धती के बदौलत राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है़.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के 93वें स्थापना दिवस के अवसर पर कृषि मंत्री की मौजूदगी में वंदना को राष्ट्रीय पुरस्कार पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया गया़. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा शुक्रवार को महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा की अध्यक्षता में हुए ऑनलाइन समारोह के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वंदना को चेक के माध्यम से एक लाख रुपये की राशि और प्रशस्ति पत्र पदान किया़.
Pandit Deendayal Upadhyay Antyodaya Krishi Puraskar-2020. #ICARawards #Aatmanirbharkrishi @ShobhaBJP @AshwiniVaishnaw @PRupala @KailashBaytu @nstomar @AgriGoI pic.twitter.com/ZXT1UdE6Fa
— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) July 16, 2021
इंटीग्रेटेड फार्मिंग में बनाई पहचान: कृषि विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार वंदना ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग में बिहार को नयी पहचान दी है़. इंटीग्रेटेड फार्मिंग के तहत वंदना ने छत के पानी को एकत्रित कर उसका उपयोग पशुपालन के लिए किया़. पशुपालन के दौरान उपयोग हो गए पानी के बेकार हो जाने के बाद उसका उपयोग हरा चारा उगाया और किचेन गार्डेन का नया मॉडल बनाया़. साथ ही वंदना ने गांव की दो दर्जन से अधिक महिलाओं को रोजगार भी दिया़.
सालाना लाखों में कमाई: इस तरह सालाना 16 लाख रुपये तक आय और ना ही कार्य पद्धति को अपनाने का सिलसिला यहीं नहीं रुका. वंदना ने मक्के के डंटल का यूरिया से उपचार कर उसे पशुओं के चारा में तब्दील कर दिया़. जिससे दूध उत्पादन के साथ आय में भी वृद्धि हुई़. इस प्रक्रिया को अपनाने से दूध में प्रोटीन की मात्रा भी छह प्रतिशत बढ़ गयी. पशुओं के चारे के लिए उन्होंने पलास के पते का सइलेज बनाया.
दस गायों का मॉडल: केंद्र सरकार खेती की एकीकृत और टिकाऊ मॉडल को विकसित करने वाले छोटे किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें दीनदयाल पुरस्कार प्रदान करती है़. इस बार वंदना का मॉडल पूरे देश में प्रथम चुना गया़. वंदना के मॉडल के अनुसार छत के पानी को पाइप से संरक्षित कर 10 गायों के पालन में प्रयोग किया जाता है़. इसके बाद इस पानी से एक एकड़ में 10 पशुओं के लिए हरा चारा और सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है़.