अगर इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने की ललक और हौसला हो तो हो कोई भी काम आसान हो जाता है। बिहार के जमुई के खैरा अंचल के फतेहपुर गांव की रहने वाली 11 वर्षीय सीमा की स्टोरी सुनने के बाद हर कोई बच्ची की तारीफ कर रहा है। सड़क हादसे में एक पैर दबाने के बाद सीमा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और रोजाना 500 मीटर पगडंडियों के सहारे दूरी तय कर पढ़ने के लिए स्कूल जाती है।
बता दें कि सीमा फतेहपुर गांव के सरकारी विद्यालय में चौथी वर्ग में पढ़ती है। मां और पिता मजदूरी करके परिवार का गुजारा करते हैं। पिता प्रवासी मजदूर हैं। एक पैर खोने के बाद भी सीमा ने पढ़ाई लिखाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। सीमा भविष्य में शिक्षक बनकर बच्चों को पढ़ाना चाहती है। बात 2 साल पहले की है जब यह की ट्रैक्टर की चपेट में आने से पैर में चोट लग गई थी जब इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर ने एक पैर काट कर सीमा की जान बचाई। एक पैर से ही सीमा सब कुछ करती है।
सीमा ने बताया कि मां और पिता मजदूर हैं। पढ़े-लिखे नहीं है लेकिन वह पढ़-लिखकर योग्य बनना चाहती है। इसी के चलते सीमा ने अपने दिल से स्कूल में दाखिला करवाया और प्रत्येक दिन पढ़ने के लिए स्कूल भी जाती है। सीमा की दादी कहती है कि गांव में मूलभूत सुविधा का घोर अभाव है जिसके चलते पगडंडियों पर ही काफी दूर तक जाना पड़ता है।
सीमा के विद्यालय फतेहपुर के शिक्षक गौतम कुमार गुप्ता ने बताया कि एक पैर के सहारे ही चलकर सीमा स्कूल तक आती है। विकलांग होने के बावजूद भी चौथी वर्ग की सीमा सारा काम खुद के बलबूते करती है। सीमा की माता ने बताया कि वे लोग बेहद गरीब हैं। आर्थिक तंगी इतनी है कि बेटी के लिए किताब नहीं खरीद सके हैं। विद्यालय के टीचर ही सब उपलब्ध करवा रहे हैं