बिहार राज्य की सवा करोड़ से अधिक जीविका दीदियां अब अधूरे प्रधानमंत्री आवास योजना और पूर्व के अधूरे इंदिरा आवास के निर्माण को पूर्ण करने में मददगार साबित होंगी। प्रखंड विकास पदाधिकारी, ग्रामीण आवास सहायक और ग्रामीण आवास पर्यवेक्षक इसमें समन्वय का काम करेंगे। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि मंत्री द्वारा अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि 5-7 वर्षों से लंबित पड़े आवास अगर पूर्ण नहीं हुए हैं तो अधिकारी इसे गंभीरता से पहल करें।
आपको बता दें कि बिहार राज्य में लगभग 4 लाख प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और पूर्व के 3 लाख इंदिरा आवास अधूरे हैं, जो अब तक पूर्ण नही हुआ। ऐसे में ग्रामीण विकास विभाग ने जीविका समूहों से सस्ते ब्याज पर ऋण दिलाने का सुझाव दिया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सबसे अधिक समयों से लंबित आवास वाले जिलो में समस्तीपुर में 34 हजार 519, अररिया में 25 हजार 537, दरभंगा में 34 हजार 299, सीतामढी में 25 हजार 914, मधुबनी में 23 हजार 224, बेगूसराय में 22 हजार 317, सुपौल में 16 हजार 419, पश्चिम चंपारण में 17 हजार 768, मुजफ्फरपुर में 16 हजार 239 तथा पटना में 14 हजार 854 आवास का निर्माण लंबित है।
ऐसे में अधिकारियों को 15 फरवरी तक हर हाल में निर्माण कार्य पूर्ण कराने की चेतावनी दी गई है। वहीं, इंदिरा आवास योजना की समीक्षा में पाया गया है कि वित्तीय वर्ष 2012-13 से वर्ष 2015-16 तक राज्य में इंदिरा आवास योजना के तहत 22 लाख 42 हजार 346 लक्ष्य के विरूद्ध 19 लाख 3 हजार 836 आवास की स्वीकृति दी गई थी इसमें 3 लाख 27 हजार 765 आवास अभी तक अपूर्ण हैं।