भारत देश के बहुत से हिस्सों में गौरैया को धन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और सभी चाहते है कि उनके घर के आस-पास गौरैया हो, लेकिन अभी बीते कुछ दशकों में तेजी से बढ़े शहरीकरण और पेड़ों की लगातार कटाई ने अब इस नन्ही चिड़िया के लिए बसेरा ढूँढना मुश्किल बना दिया है। जैसा कि बिहार को गौरैया का घर कहा जाता है, लेकिन अब वहाँ भी हालात ये है कि गौरैया विलुप्त होने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
इसीलिए गौरैया को पुनः वापस से हमारे आँगन में लाने के लिए इंडियन इन्फॉर्मेशन सर्विसेस के अधिकारी संजय कुमार बढ़े ही सुदृढ़ ढंग से अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं। संजय कुमार प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की पटना यूनिट में असिस्टेंट डायरेक्टर पद पर कार्यरत हैं, लेकिन लोग उन्हें पटना के ‘स्पैरो मैन’ के नाम से जानते हैं।
गौरैया से ‘बात’ करते हैं संजय कुमार
आपको बता दे कि संजय का गौरैया के प्रति काफी अधिक लगाव है, वे कई बार उन्हें अपने पास बुलाते हैं, खाना खिलाते है और उनके साथ खेलते हैं। संजय के दिन की शुरुआत भी कुछ इसी तरह होती है, वो सुबह उठते ही इन नन्ही चिड़ियों के लिए बर्तन में पानी भरते हैं और उनके लिए दाने का प्रबंध करते हैं। संजय ने अपने घर में खास तरह के शेल्टर लगाए हुए हैं, जो इन गौरैया का सहारा बन गए हैं।
मीडिया के साथ हुई बातचीत में संजय ने बताया है कि उनका जीवन इन्हीं चिड़ियों के आस- पास घूमता है। संजय इन चिड़ियों से भाषा के जरिये नहीं बल्कि प्रेम के भाव के जरिये बात करते और समझते हैं। गौरतलब है कि संजय जहाँ रहते हैं वहाँ आस-पास काफी हरियाली भी है, ऐसे में ये चिड़ियाँ अधिकतर वहीं पाई जाती हैं। संजय अपने कैमरे के जरिये घर पर आने वाली गौरैया की खूबसूरत तस्वीरों को कैद कर उन्हें लोगों के साथ शेयर भी करते रहते हैं।
संजय युवाओं को कर रहे हैं प्रोत्साहित
साथ ही संजय हर महीने पक्षियों के लिए अपने आय से कुछ पैसे भी अलग रखते हैं जिससे इन पक्षियों की देखभाल सही ढंग से चालू रहती है। इसी के साथ संजय ने अपने प्रयासों के जरिये अपने इलाके और पटना के अन्य हिस्सों में युवाओं के एक वर्ग को गौरैयों और अन्य पक्षियों के लिए अपने घरों के बाहर घोंसले और पानी के बर्तन की व्यवस्था करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
इसी के साथ संजय गौरैयों और पक्षियों को बचाने के उद्देश्य से नियमित रूप से वेबिनार का भी आयोजन करते रहते हैं। संजय के अनुसार उनके इन लगातार प्रयासों के चलते अब उनके साथ करीब 2 हज़ार से अधिक लोग इस मुहिम में शामिल हो गए हैं।
संजय के अनुसार इकोसिस्टम के लिए जरूरी हैं गौरैया
संजय अपनी इस मुहिम के साथ लोगो को यह समझाते हैं कि गौरैया हमारे इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन लगातार तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण के कारण उनकी अब संख्या कम हो रही है, जिसे रोका जाना बेहद आवश्यक है। संजय के इन प्रयासों के चलते अब बिहार के साथ ही देश भर में उनकी चर्चा हो रही है और गौरैया को बचाने की इस जरूरी मुहिम में लोग उनके साथ लगातार जुड़ रहे हैं।