बिहार का किसान उगा रहा शुगर फ्री “Magic Rice” जो ठंडे पानी में भी पक सकता हैं, जानें

बिहार राज्य में एक ऐसे चावल की भी खेती शुरू हो गई है जिसे लोग ‘Magic Rice‘ के नाम से जानते हैं। जिसे पकाने के लिए आपको गर्म पानी की आवश्यकता नहीं है, उसे आप ठंडे पानी में भी अच्छी तरह पका सकते हैं। यह चावल बिल्कुल शुगर फ्री होता है।

Magic Rice चावल की खेती करने की शुरुआत की है, बिहार के पश्चिमी चम्पारण के ही बगहा में रहने वाले विजय गिरी ने। असम के ब्रह्मापुत्र नदी के किनारे मंजुला द्वीप में की जाती थी। लेकिन विजय गिरी ने इस चावल की खेती की शुरुआत अपने गाँव बगहा स्थित हरपुर सोहसा में ही कर दी है।

विजय गिरी को कहाँ से मिला आईडिया

दरअसल हुआ यह कि विजय गिरी पिछले साल पश्चिम बंगाल के कृषि मेला में गए थे, वही उन्हें इसकी खेती करने का आईडिया मिला। वैसे शुरुआत में तो उन्होंने सिर्फ़ 1 एकड़ ज़मीन पर ही इसकी खेती की। लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और मैजिक चावल की पैदावार बहुत अच्छी हुई। चावल की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें रासायनिक खाद की भी ज़रूरत नहीं पड़ती है।

सामान्य ठंढे पानी में भी पक सकता है

Magic Rice चावल में सिर्फ़ गुण ही गुण हैं। इसे पकाने के लिए आपको किसी भी रसोई गैस, चूल्हे या गर्म पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इस चावल को से सामान्य पानी में 40 मिनट से 60 मिनट तक रखने पर भी यह चावल से भात बनकर तैयार हो जाता है। यानी इसे बनाने के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता नहीं होती।

40 रुपये से 60 रुपये किलो क़ीमत है

एक रिपोर्ट के अनुसार, Magic Rice चावल की खेती में लागत भी बहुत कम लगती है और खाद के भी पैसे बच जाते हैं। इस चावल की खेती करने के 5 से 6 महीने के अंदर यह तैयार हो जाता है और बाक़ी चावल की अपेक्षा इसकी क़ीमत भी आपको अच्छी मिल जाएगी। चावल को बाज़ार में 40 से 60 रुपए प्रति किलो बेचा जाता है।

Magic Rice चावल शुगर फ्री है

वैसे तो यह कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को शुगर की बीमारी होती है उसे चावल खाना मना होता है। लेकिन यह एक ऐसा मैजिक चावल है जो बिल्कुल ही शुगर फ्री होता है। शुगर फ्री होने के साथ-साथ इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन की मात्रा भी सामान्य चावल की तुलना में अधिक पाई जाती है। Magic Rice खेती करने वाले विजय गिरी का मानना है कि इसकी जितनी ज़्यादा पैदावार होगी किसानों को उतना ही ज़्यादा फायदा मिलेगा। इसलिए वह इस चावल को लेकर बहुत ज़्यादा प्रचार प्रसार भी करते हैं।

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