केंद्र और राज्य की सरकार बिहार को टूरिज्म फ्रेंडली बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में अब एक और नया प्रस्ताव सामने दिया गया है। इस प्रस्ताव के तहत बिहार में अब सभी स्मारकों और पुरातात्विक स्थल को इस तरह सुविधाएं दी जाएंगी, जो पर्यटकों को दूसरे राज्यों के टूरिस्ट पैलेस में दी जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस तरह के पहल से बिहार की ओर टूरिस्टों का आकर्षण बढ़ेगा।
मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार के स्मारक और पुरातात्विक स्थल पर्यटकीय सुविधाओं से लैस किए जाएंगे। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त कोशिश से यह प्रस्ताव ग्राउंड लेवल पर लागू होगा। इस प्लान के तहत अधिक से अधिक पर्यटक पुरातात्विक स्थलों एवं स्मारकों तक आने और पहुंचे के दौरान उनके आवाजाही से लेकर समय खर्च करने के दौरान की हर आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाएगा। पुरातात्विक स्थलों से नए पर्यटकों को जोड़ने का अभियान भी चलेगी।
विशेष रूप से नई पीढ़ी और बच्चों को लुभाने हेतु कुछ नया प्रयोग भी किया जाना है। इनके संरक्षण, सौंदर्यीकरण और संवर्द्धन का प्रस्ताव केंद्र को बिहार ने सौंपा है। केंद्र के संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी के नेतृत्व में नई दिल्ली के अशोका कन्वेंशन सेंटर में केंद्रीय पुरातत्व सलाहकार कमिटी की बैठक में ये फैसला लिया गया। इसके अलावा पुरातात्विक स्थलों पर लोगों की आवाजाही और जनभागीदारी बढ़ाने की दिशा में फैसले लिए गए।
दीपक आनंद ने पुरातत्व निदेशक बिहार का प्रतिनिधित्व किया। केन्द्र सरकार के मंत्री मीनाक्षी लेखी, अर्जुन मेधवाल समेत सभी प्रदेशों की सहभागिता से संपन्न इस बैठक में बिहार के द्वारा ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्वेक्षण की तारीफ की गई।