ऐसा पहली बार हुआ है जब बिहार का सालाना बजट खर्च दो लाख करोड़ रुपये के पार हो गया। वहीं साल 2004-05 में टोटल बजट 23885 करोड़ रुपये था, जिसमें केवल 20,058 करोड़ ही खर्च हुआ था। जबकि, साल 2021-22 में बिहार का कुल बजट आकार 2.18 लाख करोड़ रुपये का था और नीतीश सरकार 2 लाख 461.51 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने में कामयाब रही है। जो कि गत साल 2020-21 के व्यय से 21 प्रतिशत अधिक है।
बजट राशि खर्च करने वाले तीन प्रमुख विभागों में सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग ने 33517.07 करोड़ रुपये, 13586.28 करोड़ रुपए ग्रामीण विकास विभाग ने जबकि स्वास्थ्य विभाग ने 11285.39 करोड़ रुपये व्यय किए। उप मुख्यमंत्री सह वित्त एवं नगर विकास मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने गुरुवार को इसे बिहार के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने पहली दफा विकास कार्यों में सबसे ज्यादा खर्च किया।
कोविड के बिगड़े हालात के दौरान राजस्व जुटाने से लेकर खर्च करने के मामले में बिहार में काफी शानदार प्रदर्शन किया। उपमुख्यमंत्री ने इसके लिए अपने सीएम नीतीश कुमार का शुक्रिया अदा किया और कहा कि विभागों के मंत्री व अधिकारियों को विकास कार्यों में खर्च करने के लिए आगे लाए, इसके लिए आभार।
वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने कहते हैं कि वित्तीय प्रबंधन के द्वारा ऑनलाइन बजट राशि की निगरानी, कार्यालयीय व्यय के भुगतान, बिलों के भुगतान सहित अन्य खर्चों के निर्धारण को लेकर पूर्व में ही तिथि तय कर दी गई थी। इससे वित्तीय साल के अंतिम दिन किसी तरह की अफरातफरी नहीं हुई और नियमानुसार अनुशासन का पालन किया गया। भारत सरकार द्वारा मार्च के आखिर सप्ताह में मिलने वाली राशि भी आग्रह कर पहले ही प्राप्त कर ली गई, जिससे खर्च करने में साहुलियत हुई। वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन किसी तरह का बकाया भुगतान पेंडिंग नहीं रहा।
मुख्य सचिवालय में वित्त विभाग स्थित मंत्री कक्ष में केंद्रीय वित्त मंत्रालय में मनाए जाने वाले ‘हलुआ वितरण’ की तर्ज पर दो लाख से अधिक राशि खर्च करने में सफल होने के शुभ मौके पर ‘लड्डू वितरण’ का आयोजन किया गया। बजट पदाधिकारी ने इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को लड्डू खिलाया। इस अवसर पर वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ, बजट अधिकारी संजीव मित्तल, सचिव धर्मेद्र सिंह व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
दो लाख करोड़ से अधिक खर्च करने वाले पांच बड़े राज्यों की सूची में बिहार का नाम शामिल हो गया है। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तामिलनाडु दो लाख करोड़ रुपये खर्च की उपलब्धि को पहले ही हासिल कर चुके हैं। दो मायनों में इस वित्तीय वर्ष की काफी अहमियत है, एनडीए सरकार का पहला साल था और पहली बार बजट पेश किया गया था।
विभाग के मुताबिक कुशल वित्तीय प्रबंधन के वजह से यह कामयाबी मिली। साल 2021-22 में स्कीम व्यय 84,000 करोड़ रुपये है जो टोटल बजट का 42 प्रतिशत है। इस तरह, विकास के कामों पर विशेष रूप से आर्थिक-सामाजिक क्षेत्र पर अत्यधिक बल दिया गया है। वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में ई- गवर्नेंस को राज्य सरकार ने सीएफएमएस (कंप्रिहेंसिव फायनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम) के रूप में पूरे तरह से लागू किया है।