पहले हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार के सकारात्मक रवैया के बाद एयरपोर्ट चालू होने की उम्मीद और बढ़ गई है। इस मामले में कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिले के डीएम के साथ समीक्षा बैठक हुई जिसमें फारबिसगंज एयरपोर्ट को विकसित करने के आदेश के बाद इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है। लोगों का कहना है कि जिस प्रकार से पहले कोर्ट फिर सरकार के द्वारा सोमवार को रुचि दिखाई गई है। इंडिया और चीन के बीच हालिया रिश्ते को लेकर हवाई अड्डा के चालू होने की काफी प्रबल संभावना हो गई है।
बता दें कि भारत चीन युद्ध के दौरान साल 1962 में सैनिक उपयोग के लिए पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू ने भागलपुर सेंट्रल जेल के कैदियों के द्वारा इस हवाई पट्टी को बनवाया था। विशेष बात यह है कि दो-दो प्रधानमंत्री के भरोसे दिलाने के बाद भी आज तक इसे पूरा नहीं किया जा सका है।
44 साल के बाद 16 साल पहले 22 नवंबर 2006 को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अधिकारियों ने इस हवाई पट्टी का मुआयना किया था। तब उन्होंने एयरपोर्ट अथॉरिटी का नाम हवाई पट्टी का नामांतरण में करना आने के संकेत दिए थे। ट्रैफिक कंट्रोलर के प्रबंधक एके द्विवेदी ने हवाई पट्टी को घेराबंदी करवाने की बात कही थी। इसे फ्लाइंग क्लब खोलने के बारे में कहा गया था। बता दें कि घेराबंदी का काम कुछ हद तक पूरा तो हुआ लेकिन आज भी लीज प्रणाली पर भी विराम नहीं लग सका है।
मालूम हो कि 10 जून 1973 के नेपाल के शाही विमान का अपहरण कर लिया गया था और इसी हवाई पट्टी पर उतारकर 37 लाख रुपए अपराधियों ने लूट लिए थे। यह एशिया महादेश की पहली ऐसी घटना थी। इस मामले में नेपाल और भारत के लगभग डेढ़ दर्जन लोगों के विरुद्ध मुकदमा किया गया था जिसमें नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके स्वर्गीय गिरिजा प्रसाद कोइराला का भी नाम शामिल था। फिर बाद में भारत नेपाल के मध्य पारगमन संधि के पश्चात इस केस को रफा-दफा कर दिया गया।
बता दें कि जब देश में पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री के पद पर आसीन थे तब उन्होंने चुनावी सभा में संबोधित करते हुए कहा था कि इस हवाई पट्टी को चालू कर दिया जाएगा। इसके बाद रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव बने तब उन्होंने आश्वासन दिया था कि इसे चालू कराया जाएगा। प्रधानमंत्री चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भी एयरपोर्ट चालू करने की दिशा में बात कही थी।