IIT बॉम्बे से मास्टर्स इन डिज़ाइन करने वाले सिद्धांत कुमार दिल्ली में अपना स्टार्टअप, ‘Denim Decor’ चला रहे हैं। इसके जरिए, वह हर महीने लगभग 1000 पुरानी जीन्स को अपसायकल करके 400 तरह के उत्पाद बनाते हैं।
हमारें पर्यावरण पर होने वाले अभियानों में बहुत से लोग हिस्सा लेते हैं। पर्यावरण के आयोजनों के दौरान पौधे लगाने और पानी बचाने जैसी कसमें खाते हैं। लेकिन इनमें से बहुत ही कम लोग होते हैं जो इन कसमों को कर्म में बदल पाते हैं। जो सही मायनों में पर्यावरण के लिए कुछ करते हैं। आज ऐसे ही एक उद्यमी की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनका व्यवसाय एक अनोखे तरीके से प्रकृति के अनुकूल काम कर रहा है।
आज हम आपसे बात कर रहे है दिल्ली में रहने वाले सिद्धांत कुमार की। सिद्धांत, ‘डेनिम डेकॉर’ के नाम से अपना स्टार्टअप चलाते हैं और इसके अंतर्गत पुरानी-बेकार डेनिम जीन्स को अपसायकल करके इको-फ्रेंडली और खूबसूरत उत्पाद बना रहे हैं। IIT बॉम्बे से डिज़ाइन में मास्टर्स करने वाले सिद्धांत मूल रूप से बिहार के मुंगेर से हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें बेंगलुरु की एक कंपनी में नौकरी करने का मौका मिला था। लेकिन सिद्धांत को वह काम ज्यादा रास नहीं आया। वह कुछ अलग करना चाहते थे और इसी क्रम में, वह 2012 में दिल्ली पहुँच गए।
दिल्ली में सिद्धांत कुमार अपना खुद का एक स्टार्टअप शुरू किया और अलग-अलग तरह के ‘ऑन द टेबल’ गेम्स बनाने लगे। लेकिन इसके साथ-साथ सिद्धांत कुमार पुरानी डेनिम की चीजें भी बनाना शुरू कर दिया था।
बिहार ख़बर से बात करते हुए उन्होंने बताया, “मैं दिल्ली में किराये के घर में रह रहा था। उस समय मैंने जो घर लिया, उसकी दीवारें बहुत ही प्लेन और सादा थी। इसलिए मैंने उन पर कुछ कलाकारी करने की सोची। मुझे और कुछ समझ नहीं आया तो मैंने अपनी पुरानी जीन्स को ही इस्तेमाल करके, उस दीवार पर डेकॉर किया। इसके बाद, जो भी मेरे घर आता तो सभी लोग पूछने लगे कि ये कैसे किया? बहुत सुंदर है।”
सिद्धांत कुमार ने तैयार किए 400 तरह के उत्पाद
सिद्धांत कुमार ने बताया कि घर की दीवार की जब सबने तारीफ की तो उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का हौसला मिला। इसके बाद, सिद्धांत कुमार पुरानी-एंटीक चीजें खरीदना शुरू किया जैसे लालटेन, पुराने फ़ोन, केतली आदि। इन सभी चीजों को वह डेनिम का इस्तेमाल करके नया रूप देने लगे। “जब इस तरह के 40-50 उत्पाद तैयार हो गए तो 2015 में पहली बार सेलेक्ट सिटी मॉल में मैंने एक प्रदर्शनी में इन्हें लगाया। उस समय हमें जो लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, उससे मुझे इस काम को करियर के रूप में अपनाने का हौसला मिला,” वह कहते हैं।
साथ ही सिद्धांत कुमार बताते हैं कि उनका पहला स्टार्टअप कुछ समय तक अच्छा चला लेकिन फिर उन्हें परेशानी आने लगीं। इसलिए सिद्धांत कुमार ने अपना फोकस डेनिम पर लगाया क्योंकि उनका आईडिया और उत्पाद दोनों ही लोगों को पसंद आ रहे थे। शुरुआत में, उन्होंने अपने जानने वालों से पुरानी जीन्स इकट्ठा की थी। लेकिन जब उन्होंने तय किया कि वह अपना उद्यम शुरू करेंगे तो सिद्धांत कुमार कपड़ों के बदले बर्तन बेचने वाले कुछ लोगों के साथ टाईअप किया। ये लोग गाँव-शहरों में बर्तन बेचने जाते थे और बदले में कपड़े लेते थे। इन पुराने कपड़ों में जीन्स भी उन्हें मिलती थी।
ये जीन्स सिद्धांत कुमार ने उनसे खरीदने लगे और अपने उत्पादों पर काम करने लगे। सिद्धांत ने अपने स्टार्टअप को ‘डेनिम डेकॉर’ का नाम दिया और आज वह पुरानी डेनिम से लगभग 400 तरह के उत्पाद बना रहे हैं। जिनमें बैग, डायरी, पेन स्टैंड, लालटेन, केतली, बोतलें, सोफे कवर, पर्दे, स्टूल आदि शामिल हैं। सबसे दिलस्चस्प बात है कि पुरानी डेनिम से नए उत्पाद बनाने की प्रक्रिया में वह कम से कम वेस्ट उत्पन्न करते हैं और जो कतरन बच जाती है, उससे अब वह ‘पोट्रैट’ बना रहे हैं।
उनसे अलग-अलग उत्पाद खरीदने वाले अनूप बताते हैं, “उनके पास बहुत ही अलग तरह के उत्पाद हैं, जो आकर्षक तो है ही, साथ ही इको-फ्रेंडली भी हैं। इसलिए हमने उनसे कुछ उत्पाद खरीदे हैं और अब तक जो कुछ भी लिया है, सभी की गुणवत्ता अच्छी है।”
हर महीने करते हैं 1000 पुरानी जीन्स अपसायकल
साथ ही शायद आपको पता हो कि कॉटन कॉरडरॉय से बनी एक जीन्स की जोड़ी को बनाने में लगभग 1000 लीटर पानी खर्च होता है। ऐसे में, जब यह जीन्स पुरानी हो जाती हैं और लोग इन्हें कचरे में फेंक देते हैं तो न सिर्फ साधनों का बल्कि पर्यावरण का भी नुकसान है। लेकिन सिद्धांत हर महीने लगभग 1000 पुरानी जीन्स को अपसायकल करके प्रकृति के अनुकूल काम कर रहे हैं। साथ ही, उनके इस काम से लगभग 40 लोगों को रोजगार मिल रहा है। वह बताते हैं, “हमारे उत्पाद सामान्य ग्राहकों के साथ-साथ बड़े-बड़े ब्रांड्स भी खरीदते हैं। अब तो डेनिम बेचने वाली कई ब्रांड्स भी हमसे अपने शोरूम का डेकॉर करा रही हैं। हम यह पूरा डेकॉर पुरानी और बेकार जीन्स से ही करते हैं।”
उनके एक और ग्राहक, नरेश भाटिया बताते हैं, “हम इंटीरियर डिजाइनिंग का काम करते हैं और अपने बहुत से प्रोजेक्ट्स के लिए हम सिद्धांत जी से अलग-अलग प्रोडक्ट्स खरीदते हैं। उनके प्रोडक्ट्स इको-फ्रेंडली होने के साथ-साथ किफायती भी हैं। शायद ही कोई होगा जिन्हें सिद्धांत कुमार के बनाए प्रोडक्ट्स पसंद न आएं। आप इन्हें अपना घर, दफ्तर या शोरूम आदि डेकोरेट करने के लिए इस्तेमाल में ले सकते हैं।”
लॉकडाउन में भी उन्होंने लोगों के लिए डेनिम के मास्क बनाए थे। जब लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा था, तब सिद्धांत ने लगभग 25 कारीगरों के यहां मशीन लगवाकर उन्हें काम दिया। इस तरह से वह लॉकडाउन के दौरान भी बिज़नेस कर पाए थे। आज उनके उत्पाद भारत के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में भी जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब उनका सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ रुपए तक पहुँच चुका है।
साथ ही पिछले कुछ महीनों से सिद्धांत कुमार ने प्लास्टिक पर भी काम शुरू किया है। वह MLP मतलब मल्टी-लेयर्ड प्लास्टिक जैसे फ़ूड पैकेट्स, रैपर्स आदि को अपसायकल करके अलग-अलग उत्पाद बना रहे हैं। आने वाले कुछ महीनों में वह अपने प्लास्टिक के उत्पाद भी बाजार में लॉन्च करेंगे। सिद्धांत कुमार कहते हैं, “जब कचरे को सही से इस्तेमाल में लेकर नयी, खूबसूरत और आकर्षक उपयोगी चीजें बनाई जा सकती हैं तो नए साधनों को क्यों इस्तेमाल किया जाए। इससे हम कचरे का सही प्रबंधन कर सकते हैं और साथ ही, अपने साधन भी बचा सकते हैं।