यूपीएससी का एग्जाम क्रैक करने के लिए अभ्यार्थी अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं। यूपीएससी जैसे प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करना हर आईएएस एप्रेंटिस की चाहत होती है। एक ऐसी ही कहानी है, पिता को आईएएस अधिकारी न बन पाने का मलाल था, लेकिन उनकी बेटी ने सिविल सर्विसेज एग्जाम को पास कर अपने पिता के सपनों को साकार किया।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से ताल्लुक रखने वाली साक्षी पढ़ाई में शुरू से ही मेधावी छात्र रही है। पिता बिजनेसमैन है और मां घर में ही काम करती है। दसवीं में साक्षी ने 76 प्रतिशत जबकि बारहवीं में 81 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। सोनभद्र में ही रहकर उन्होंने राजकीय महिला महाविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कंप्लीट की। ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद साक्षी ने सिविल सर्विसेज की एग्जाम के लिए दिल्ली का रुख किया।
पिता ने साक्षी को हर मोर्चे पर पूरी शिद्दत से सपोर्ट किया। दिल्ली आकार साक्षी ने ‘निर्माण आईएएस’ कोचिंग में सिविल सर्विसेज की क्लासेस शुरू कर दी. उन्होंने इतिहास को अपना विषय बनाया और इसी की तैयारी में अपना ध्यान लगाया। इस दौरान उनके सहपाठी ने भी साक्षी को हर कदम पर साथ दिया।
अब समय यूपीएससी की परीक्षा का था। साक्षी ने सिविल सर्विसेज एग्जाम को पास किया और यूपीएससी की जारी परिणाम में 350 वें रैंक हासिल की और इसी के साथ महज 22 साल की उम्र में साक्षी बन गई आईएएस अधिकारी। उनकी इस कामयाबी से पूरा सोनभद्र जिला गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
साक्षी अपने परिणाम से खुश तो है, लेकिन संतुष्ट नहीं। उन्होंने अपने रैंक में सुधार करने की बात कही है। साक्षी बताती है कि आईएएस बनने के लिए छात्रों को 12वीं के बाद ही इसके तैयारियों पर ध्यान लगा देना चाहिए।