संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा मैं हर साल लाखों छात्र शामिल होते हैं। लेकिन बहुत ही कम स्टूडेंट्स इसे क्वालीफाई कर पाते हैं। किसी भी मंजिल को पाने के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत होना पड़ता है। पंजाब के मोगा में रहने वाली रितिका जिंदल (Ritika Jindal) के लिए ये आसान नहीं था, फिर भी सारी मुश्किलों का सामना कर अपना IAS बनने का सपना पूरा किया।
रितिका का बचपन से ही सपना था IAS बनने का रितिका बताती हैं कि उनका जन्म पंजाब के मोगा के ऐसे जगह से है जहां के बच्चे लाला लाजपत राय और भगत सिंह की कहानियां सुन सुन कर बड़े होते हैं। मैं भी इन्हीं कहानियों के बीच पली बड़ी हूं। रितिका बचपन से ही देश के लिए कुछ करना चाहती थी अतः उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा का चुनाव किया।
रितिका12 वीं की टॉपर रही है।
रितिका बचपन से ही पढ़ाई में टॉपर रही है। 12वीं में रितिका सीबीएसई बोर्ड में पूरे नॉर्दन इंडिया में टॉप की इसके बाद दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया और इसमें भी 95 प्रतिशत अंक के साथ कॉलेज में तीसरा स्थान प्राप्त की।
पहले प्रयास में कुछ नंबर कम रह गए
द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रितिका जिंदल (Ritika Jindal) बचपन से ही आईएएस बनना चाहती थी, इसलिए और कॉलेज के समय से ही उन्होंने यूपीएससी (UPSC) की तैयारी करनी शुरू कर दी थी। ग्रेजुएशन के बाद रितिका ने पहली बार यूपीएससी एग्जाम दिया लेकिन फाइनल लिस्ट में वह कुछ अंकों से पीछे रह गई फिर रितिका ने दूसरी बार एग्जाम देने का फैसला लिया।
मात्र 22 साल के ही उम्र में बनी आईएएस
पहले प्रयास में असफलता के बाद रितिका हिम्मत नहीं हारी और (Ritika Jindal) कड़ी मेहनत की वर्ष 2018 में दूसरे प्रयास में सिर्फ 22 साल की उम्र में ही सिविल सर्विसेस परीक्षा में 88वीं रैंक हासिल कर अपना सपना पूरा किया।
पिता को था कैंसर
रितिका जिंदल (Ritika Jindal) के लिए आईएएस बनने की राह आसान नहीं था, जब वह पहली बार यूपीएससी की तैयारी कर रही थीं तब उनके पिता को टंग कैंसर (Oral Cancer) हो गया, जिससे रितिका की पढ़ाई पर काफी प्रभाव पड़ा। जब रितिका दूसरी बार एग्जाम की तैयारी कर रही थीं, तब उनके पिता को लंग कैंसर हो गया। रितिका के लिए यह मुश्किल भरा समय था, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने लाख मुश्किलों का सामना करते हुए एग्जाम की तैयारी में दिन रात लगी रही।
बीमार पिता की देखभाल करते हुए यूपीएससी की तैयारी करना रितिका के लिए काफी मुश्किल था। रितिका ने इंटरव्यू में बताया की मैं जिस जगह से हूँ। वह बहुत ही सीमित संसाधनों वाला छोटा शहर है। जब भी मेरे पिता की तबीयत खराब होती तो हमे उनके इलाज के लिए लुधियाना लेकर जाना पड़ता था और मुझे उनके साथ अस्पताल जाना पड़ता था। रितिका ने बताया कि अपने पिता को जिंदगी मौत से लड़ते देखकर मुझे बहुत हिम्मत मिली और मैंने एग्जाम के लिए कड़ी मेहनत की।