अपने जिंदगी यापन के लिये पलायन हमारे देश भारत की एक बड़ी समस्या है। पिछले कई दशकों से बिहार-यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान जैसे राज्यों के लोग पलायन को मजबूर हैं। पलायन की वज़ह ये है कि इन सभी राज्य में रोजगार जैसी कोई चीज नहीं है। उत्तराखंड में कुदरत की मार से लोग परेशान हैं। राजस्थान में रेतीली ज़मीन पर कुछ उगता ही नहीं है। यूपी-बिहार जैसे बड़े राज्यों रोजगार के लिए फैक्टरी-कंपनी का अभाव है। लिहाजा लोग वहाँ से पलायन कर संपन्न राज्यों की तरफ़ रुख कर रहे हैं। हालांकि, दूसरे राज्यों में भी उनकी परेशानी कम नहीं होती। उन्हें यहाँ मेहनत से कम में मज़दूर बना दिया जाता है।
आपको पता भी है कि हमने देश में लगे लॉक डाउन के दौरान भी देखा था कि कैसे दूसरे राज्यों के लोग अपने घरों को जाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे थे। शहर में उन्हें रोजी-रोटी का संकट आ गया था और गाँव जाने के लिए रेल-बसें सभी बंद थी। कुछ ऐसी ही परिस्थितियों को देखकर उत्तराखंड की एक लड़की दिव्या रावत ( Divya Rawat ) विचलित हो उठी। उसका परिणाम यह हुआ कि अपनी नौकरी छोड़ उन्होंने तय किया कि अब वह इस पलायन को रोकेंगी। पलायन को रोकने के लिए फिर उन्होंने जो किया उसकी तारीफ तो मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक ने की।
जानें कौन हैं दिव्या रावत (Divya Rawat)
आपको बता दें, दिव्या रावत (Divya Rawat) एक महिला है जो उतराखंड की रहने वाली हैं। उन्होंने एमिटी विश्वविधालय (Amity university) से मास्टर्स इन सोशल वर्क (Masters in social work) में डिग्री प्राप्त की। दिव्या इसके बाद एक गैर सरकारी संस्था से जुड़ गई। जहाँ लोगों को मानवाधिकार के मुद्दों पर जागरूक करने का काम करना था। इसी दौरान साल 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ आ गई। जिसके चलते बहुत से लोगों को वहाँ से पलायन करना पड़ा। दिव्या इस पलायन को देखकर बेहद परेशान थी। वह इसे रोकना चाहती थी। इसके लिए दिव्या ने एक प्लान तैयार किया। आइए जानते हैं क्या था वह प्लान।
दिव्या रावत (Divya Rawat) ने छोड़ दी नौकरी।
दिव्या ने पलायन को रोकने के लिए नौकरी छोड़ने का फ़ैसला किया। इसके बाद दिव्या रावत (Divya Rawat) ने राज्य के लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की मुहिम शुरू की और मशरूम की खेती का काम भी शुरू किया। साथ ही मशरूम की प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाने का फ़ैसला किया। ताकि काम को बड़े पैमाने पर विस्तार दिया जा सके।
दिव्या रावत (Divya Rawat) बन गई ‘मशरूम गर्ल’ (Mushroom Girl)
इधर उत्तराखंड की दिव्या रावत ने आज देन में अपनी अलग ही पहचान बना ली है। 30 साल की दिव्या रावत आज ‘मशरूम गर्ल‘ के नाम से प्रचलित हो चुकी हैं। उत्तराखंड सरकार ने आज उन्हें मशरूम का ब्रांड एंबेसडर (Brand ambassador) बनाया है। दिव्या की इस पहल से आज लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। दिव्या आज सालाना 5 करोड़ की आमदनी भी कर रही है। साथ ही करीब 7 हज़ार किसानों को उनकी वज़ह से सीधा लाभ हो रहा है।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब दा से भी मिल चुका है सम्मान
साथ ही आपको पता होना चाहिए की दिव्या आज खेती को एक नए मुकाम पर ले जा रही हैं। कैसे भारत देश के लोगों को स्थानीय स्तर पर भी रोजगार दिया जाए, इस पर काम कर रही हैं। महिलाओं को सफल बनाने, सतत विकास को बढ़ावा देने और खेती में नये विचारों को अपनाने पर बल दे रही हैं। इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने उन्हें 2016 में राज्य की मशरूम की खेती का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया था। साथ ही साल 2016 में ही स्वर्गीय पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें ‘नारी शक्ति पुरस्कार‘ से भी नवाजा था। ये सब उनके खेती में दिए योगदान को देखते हुए ही किया गया था।