चेन्नई के पी बालमुरुगन जिन्हें कभी घर के माली हालातों के चलते पढ़ाई को जारी रखने के लिए अखबार बेचना पड़ा था। अपने मेहनत और मजबूत दृढ शक्ति के बदौलत यूपीएससी क्वालीफाई कर बने IFS अधिकारी।
पी बालमुरुगन चेन्नई के कीलकट्टलाई से बिलॉन्ग करते हैं। इनकी कामयाबी की दास्तां लोगों के लिए प्रेरणा है। पिता के घर छोड़े जाने के बाद सात भाई–बहनों की जवाबदेही का बीड़ा मां पलानीमल ने उठाया। यह वक्त परिवार के लिए काफी मुश्किल से भरा था। गहने–जेबर को बेचकर एक घर को खरीदा। इन प्रतिकूल परिस्थितियों में उनके मामा ने हरसंभव सहायता किया।
बालमुरुगन बचपन के दिनों की यादों को ताजा करते हुए कहते हैं। एक ऐसा भी वक्त था, जब आर्थिक स्थिति इतनी जर्जर थी की 3 सौ रुपए की नौकरी कर अपनी पढ़ाई को जारी रखा। महज नौ साल के थे तब उन्हें न्यूज पेपर भी बेचना पड़ा था। अखबार पढ़ने की दीवानगी इस कदर बढ़ गई की, वो भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा सिविल सेवा के लिए सोचने लगे।
बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद टीसीएस में उनका जॉब लगा। सैलरी लाखों में थी बावजूद इसके उनकी चाह सिविल सर्विसेज की परीक्षा को क्रेक आईएएस बनने की थी। नौकरी को छोड़ने का फैसला चिंता का विषय बन गया था, क्योंकि इतने संघर्ष और प्रयासों के बाद नौकरी लगी थी। परिवार की सदस्य में बड़ी बहन पैसे कमाने लगी थी, इसलिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारियों में अपना ध्यान दिया।
अब बालमुरुगन सिविल सर्विसेज की तैयारी जमकर करते हैं। इसके लिए वो राजधानी चेन्नई में आईएएस अकैडमी में दाखिला लेते हैं।अपने प्रतिभा के बलबूते यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद भारतीय वन सेवा में ईएफएस अधिकारी के पोस्टिंग होती है। उनकी यह सफलता की कहानी अत्यंत प्रेरणीय है।