यूपीएससी की राह अनिश्चितताओं से भरी होती है। यूपीएससी क्लियर करने वाले हर अभ्यर्थियों की कहानी संघर्षों से भरी होती है। यूपीएससी के प्रति युवाओं का समर्पण इस कदर होती है कि कई बार असफलताएं मिलने के बावजूद भी सालों भर इसमें खपा देते हैं। ऐसे ही कहानी पांचवें प्रयास में यूपीएससी क्लियर करने वाली पूजा की जिन्होंने आंखों की रोशनी खोने के बावजूद भी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी। साल 2020 के जारी परिणाम में पूजा ने सफलता पाकर लोगों के लिए मिसाल पेश कर दिया।
पूजा महाराष्ट्र के लातूर से आती है। शुरुआती पढ़ाई गांव में ही हुई। लातूर के केशवाराज विद्यालय से मैट्रिक की पढ़ाई की। फिर दयानंद कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए पुणे चली गई। जहां उन्होंने फर्ग्युसन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। पूजा ने इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में परास्नातक की डिग्री हासिल की। पूजा ने इसी दौरान यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। यूपीएससी की परीक्षा दी। शुरुआती चार प्रयासों में असफलता के बावजूद भी पूजा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। दृढ़ निश्चय और निरंतर मेहनत से पांचवें प्रयास में 577 रैंक हासिल कर यूपीएससी में कामयाबी पाई।
यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है। जब पूजा साल 2014 में पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही थी तभी उनकी आंखों में रोशनी कम होने लगी। शुरूआत में तो रात में देखने में परेशानी होती थी लेकिन बाद में परेशानी और बढ़ती चली गई, उन्हें दिन में भी देखने और पहचानने में दिक्कत आने लगी। कई चिकित्सकों से दिखाने के बाद उन्होंने पूजा को इलाज के लिए इंग्लैंड भेजने की बात कही। आंखों की घटी रोशनी से पूजा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने शिक्षक पिता, गृहिणी मां और तीन बहनों के सपोर्ट से पूजा ने यूपीएससी क्लियर कर लोगों के लिए प्रेरणा बन गई।