राजधानी पटना का प्रदूषण स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिसके बाद चिंता और बढ़ती जा रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक में रेड जोन से ऊपर बढ़ता जा रहा है। वजह है कि डीजल इंजन वाली गाड़ियों का संचालन हो रहा है, इसलिए अब पटना में सार्वजनिक वाहन यानी पब्लिक ट्रांसपोर्ट को पूरी तरह से सीएनजी में बदला जाएगा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को डीजल मुक्त करने का टारगेट मार्च, 2023 तक रखा गया है। प्रखंड स्तर से लेकर राजधानी तक केवल सीएनजी बसों का परिचालन होगा। परिवहन विभाग के अधिकारी इस बारे में बताते हैं कि सरकारी और प्राइवेट दोनों डीजल बसों को इस फाइनेंसियल ईयर में सीएनजी में बदलने की योजना है।
पटना नगर निगम के इलाके के साथ ही खगौल, दानापुर नगर परिषद एवं फुलवारी शरीफ में चल रही 250 डीजल बसों को सीएनजी में कन्वर्ट करने की योजना है। इस बाबत सभी प्राइवेट बस मालिकों को नोटिस जारी कर दिया गया है। विभाग को इन्हें बताना है कि मिनी सीएनजी बसें की खरीदारी करें या सीएनजी में बदलवा लें। प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के एक्सपर्ट की मानें तो डीजल इंजन वाली बसों का परिचालन बंद होने के पश्चात राजधानी पटना का एक्यूआई लेवल कम जाएगा।
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विशेषज्ञों की मानें, तो डीजल इंजन वाली बस से निकलने वाला कार्बन से जुड़ा हुआ गैस से लोगों को राहत मिलेगा। डीजल के इस्तेमाल होने से उत्सर्जन होने वाला कार्बन डाइऑक्साइड एवं कार्बन मोनोऑक्साइड की वायु मात्रा में कमी आएगी। लोगों को सांस से जुड़ी हुई बीमारियों से मुक्ति मिलेगा। हाल के कुछ सालों में सांस से जुड़े हुए मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है।
मालूम हो कि परिवहन विभाग ने 1 अप्रैल से ही राजधानी में डीजल से चलने वाली ऑटो के परिचालन पूरी तरह बैन लगा रखा है। इसके बावजूद भी कई चालक डीजल इंजन वाली ऑटो चला रहे हैं। इनके विरूद्ध शनिवार और शुक्रवार के दिन विभाग ने अभियान चलाया। अभियान के तहत डीजल वाले 200 ऑटो को जब्त किया गया। जुर्माना के तौर पर इनसे 5000 हजार रुपए से 20 हजार रुपए तक वसूली की गई। बीते दिन 12 जून को 15 जगहों पर अभियान चलाया गया।