पटना म्यूजियम को भी अब बिहार म्यूजियम की तरह आकर्षक बनाया जा रहा है। यहां आने वाले दर्शकों के लिए विशेष रूप से गंगा और पाटलिपुत्र की झलक देखने को मिलेगी, इतिहास को जानने और समझने वाले लोगों को आकर्षित हो सके। गंगा और पाटलिपुत्र गैलरी में दर्शक बिहार और पटना के इतिहास को करीब से समझ सकेंगे। यह दोनों गैलरी डिजिटल होगी।
158 करोड़ की राशि खर्च कर यह गैलरी पटना म्यूजियम परिसर नए भवन में होगी। एक अधिकारी ने जानकारी दी कि शीघ्र ही पटना म्यूजियम को अनोखे और अलग अंदाज में लोग देख सकेंगे। म्यूजियम के 100 पुराने भवन के साथ कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। कहा जा रहा है कि यहां एक और बिल्डिंग बनेगा। नया निर्माण भी पुराने भवन का हिस्सा लगेगी।
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बता दें कि वर्तमान प्रवेश द्वार प्रदर्शनी के लिए होगा और पटना म्यूजियम आने वाले दर्शक नए भवन से इंट्री कर पाएंगे। एंट्री करते ही पहले गंगा और पाटलिपुत्र की गैलरी से रूबरू होंगे। पटना के इतिहास के बारे में पाटलिपुत्र गैलरी में ऑडियो और वीडियो के जरिए दर्शकों को बताया जाएगा।बताते चलें कि बिहार म्यूजियम और पटना म्यूजियम एक टनल (सुरंग) से जोड़ने की योजना बनी है। इस योजना का मकसद दोनों म्यूजियम में आने वाले दर्शक सुलभता से एक से दूसरी जगह पहुंच सकें।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1400 मीटर टनल की लंबाई होगी। बिहार म्यूजियम से बेली रोड के नीचे की ओर टनल होगी, जो पटना वीमेंस कॉलेज, आयकर गोलंबर के रास्ते तारामंडल के सामने विद्यापति मार्ग की ओर घूमकर पटना म्यूजियम कैंपस में निकलेगी। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान पटना म्यूजियम का निर्माण हुआ था। 100 वर्ष से अधिक पुराने इस म्यूजियम की स्थापत्य कला शानदार है। यहां रखी गई अतीत की विरासतें किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।