राजधानी पटना के पहाड़ी, बेऊर, करमालीचक और सैदपुर इलाके में सितंबर महीने तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) चालू होने की उम्मीद है। राजधानी के तकरीबन सवा लाख घरों का कवर करते हुए एसटीपी की रोजाना 200 मिलियन लीटर अपशिष्ट जल के ट्रीटमेंट की संयुक्त क्षमता है। पहाड़ी और सैदपुर एसटीपी में से दोनों की क्षमता रोजाना की क्षमता 60 मिलियन लीटर (एमएलडी), बेऊर एसटीपी की क्षमता 43 एमएलडी और कर्मलीचक एसटी एमएलडी है। एक बार भूमिगत नेटवर्क पूर्ण होते ही हो, घरेलू सीवेज लाइनों से कोई भी अनुपचारित पानी डायरेक्ट गंगा में नहीं छोड़ा जाएगा।
BUIDCO के असिस्टेंट इंजीनियर राजीव कुमार देव ने बताया कि बेऊर एसटीपी को 180 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन प्रणाली से जोड़ा जाएगा। इसी तरह, करमालीचक और सैदपुर में, सीवेज नेटवर्क पर 85 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। कर्मलीचक एसटीपी की कुल लंबाई 96.5 किमी और साइपुर एसटीपी 217.88 किमी है।
नाले के पाने का क्लोरीनीकरण होते ही अपशिष्ट जल का ट्रीटमेंट बैच रिएक्टरों में किया जाएगा और सिंचाई के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा। बिहार अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (BUIDCO) के अस्सिटेंट इंजीनियर राजीव कुमार देव ने टाइम्स न्यूज नेटवर्क से बातचीत में बताया कि बेऊर में सीवेज लाइन बिछाने और घरों को जोड़ने का लगभग 90 प्रतिशत काम अब तक पूरा हो चुका है।
इंजीनियरों ने चार में से तीन एसटीपी पर सफल रुप से ट्रायल रन किया, जिसमें सैदपुर, बेऊर और करमालीचक शामिल थे। वे अति आधुनिक बुनियादी ढांचे से लैस हैं और अनुक्रमण बैच रिएक्टर प्रौद्योगिकी (अपशिष्ट जल ट्रीटमेंट के लिए सक्रिय कीचड़ प्रणाली को भरने और खींचने का इस्तेमाल करता है) का उपयोग करके बनाया गया है। वे आने वाले 30 सालों के लिए स्थानीय आबादी की आवश्यकताओं को देखते हुए डिजाइन किया गया है। दीघा और कंकड़बाग में दो अतिरिक्त एसटीपी निर्माण शुरुआती दौर में है।