अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना में शुक्रवार को न्यूक्लियर मेडिसिन डिपार्टमेंट’ यानी नाभिकीय चिकित्सा विभाग का उद्घाटन किया गया। पटना एम्स के डायरेक्टर प्रभात कुमार सिंह ने उद्घाटन करते हुए बताया कि न्यूक्लियर मेडिसिन के जरिए कोशिकाओं की फिजियोलॉजी और बायोलॉजी में आ रहे बदलाव के आधार पर उपचार किया जाता है। इस तकनीक के माध्यम से मरीजों का सुरक्षित और दर्दरहित इलाज होता है। यह कम खर्चीला होता है।
डायरेक्टर प्रभात कुमार सिंह ने विभाग के द्वारा मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बताते हुए कहा कि अब बिहार के मरीजों को उपचार के लिए दूसरे राज्यों में नहीं भटकना होगा। पटना एम्स में ही सारी सुविधाएं मिलेगी। उन्होंने कहा कि जल्द ही गामा कैमरे के जरिए मरीजों को उपचार करने की सुविधा भी बहाल होने वाली है। मरीजों को थायरॉइड कैंसर के लो रिस्क ग्रुप के मरीजों को ओपीडी में रेडियो आयोडीन की सुविधा मिलेगी। पैट सीटी मशीन के आने पर कैंसर जांच परीक्षण, स्टेजिंग, मेटास्टैटिक वर्कअप और शरीर में संक्रमण के केंद्र का पता लगाने में मदद मिलेगी। इससे कीमोथेरैपी या रेडियोथेरैपी से उपचार पता लगाया जा सकेगा।
थायराइड डिसऑर्डर और थायरॉइड कैंसर के वैसे मरीज, जिनका ऑपरेशन हो चुका है। क्लीनिक में मरीजों को र्मोन सप्रेसन थेरेपी और रिप्लेसमेंट थेरेपी की जायेगी। राज्य के मरीज अब दूसरे राज्य में ना जाकर पटना में ही रहकर इलाज करा सकेंगे। बता दें कि पटना एम्स के नाभिकीय चिकित्सा विभाग में विभागाध्यक्ष के पद पर हाल ही में नियुक्त हुए पंकज कुमार इससे पहले भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) से प्रशिक्षित तथा विकिरण चिकित्सा केंद्र (आरएमसी), टाटा मेमोरियल अस्पताल में अपनी सेवा दे चुके हैं।