जातीय जनगणना की राजनीति एक बार फिर तेज हो गई है। केंद्र सरकार के फैसले से इतर बिहार सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। बिहार सरकार अपने खर्चे पर जातीय जनगणना कराएगी। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद इस बात की घोषणा की। जनता दरबार के बाद मीडिया बंधुओं से बातचीत करते हुए सीएम ने कहा कि इसकी तैयारी भी हो चुकी है।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि पारदर्शी तरीके से बिहार सरकार जनगणना कराएगी। किसी भी प्रकार की कोई चुक नहीं होगी। तमाम राजनीतिक दलों की सहमति भी मिल चुकी है। शीघ्र ही सर्वदलीय बैठक होगा, जहां सभी राजनीतिक दल होंगे। उपमुख्यमंत्री अपने दल के सभी लोगों से बात कर चुके हैं। सर्वदलीय बैठक के लिए जल्द ही तारीख की घोषणा की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि सभी लोगों की राय जरूरी है। जातीय जनगणना कैसे करानी है, कब करानी है, किस माध्यम से कराएंगे, यह सब बैठक में सबसे सलाह लेकर निर्धारित किया जाएगा।
हाल ही में शीतकालीन सत्र में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार से मिलकर जातीय जनगणना कराने की मांग की थी। इससे पहले भी बिहार के 10 राजनीतिक दलों का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर जनगणना कराने की मांग की थी। बिहार में भाजपा को छोड़ अन्य सभी राजनीतिक दल जातिगत जनगणना कराने की मांग लंबे अरसे से कर रहे हैं। केंद्र सरकार पहले ही इसे खारिज कर चुकी है।
बता दें कि देश में पहली दफा साल 1881 में जनगणना हुई थी। तब हर 10 साल पर जनगणना कर आंकड़े जारी किए जाते थे। आखिरी बार साल 1940 में जनगणना हुई थी लेकिन आंकड़े जारी नहीं किए गए थे। बता दें कि इससे पहले कर्नाटक सरकार भी अपने खर्चे से जातीय जनगणना करा चुकी है। बिहार देश का दूसरा राज्य होगा जो अपने खर्चे से जातीय जनगणना कराएगा।