औरंगाबाद जिले स्थित नबीनगर पावर जेनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के तीसरे प्लांट के स्टार्ट होते हैं यहां से कुल 1980 मेगावाट विद्युत उत्पादन होने लगा। अंतिम यूनिट से विद्युत का उत्पादन मंगलवार की रात से शुरू हो गया है। बता दें कि एनपीसीसी में 660 मेगावाट बिजली सप्लाई करने वाले तीन प्लांटों को स्थापित किया जाना था। 6 सितंबर 2019 को पहले यूनिट से वाणिज्यिक 660 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया। 23 जुलाई 2021 से दूसरे प्लांट से 660 मेगावाट जबकि मंगलवार की देर रात से तीसरे प्लांट से 660 मेगावाट कमर्शियल विद्युत का उत्पादन शुरू हो गया।
बता दें कि आप इस पावर हाउस से पूरी कैपेसिटी यानी टोटल 1980 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाने लगा है। एनटीपीसी और बिहार सरकार ने बिजली घर की स्थापना के दौरान ही यह टारगेट फिक्स किया था। एनपीजीसी के सीईओ आर. के. पांडेय बताते हैं कि 660 मेगा वाट प्रति मिनट के लिए कुल कोयला की खपत 9,000 मैट्रिक टन और प्रति यूनिट के हिसाब से रोजाना 15 क्यूसेक पानी की खपत होगी। इसी हिसाब से पहले दो प्लांट के लिए टोटल 18,000 मीट्रिक टन कोयला एवं प्रतिदिन 30,000 क्यूसेक पानी की खपत होती थी।
अब तीसरे प्लांट से बिजली उत्पादन शुरू हो जाने के बाद रोजाना कुल कोयला की खपत 274 मीट्रिक टन जबकि 45 क्यूसेक पानी की खपत तीनों प्लांट के लिए होगी। सीईओ ने जानकारी दी कि बिजली उत्पादन के मामले में यह जोन एनटीपीसी अव्वल रहा है। उन्होंने बताया कि बिजली उत्पादन कराने में मजदूर, किसान, जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन का मदद मिलता रहा है। उत्पादित विद्युत का 85 फीसद हिस्सा बिहार सरकार को इस प्लांट से दिया जा रहा है।
एनपीसीजी परियोजना में लक्ष्य के अनुसार विद्युत उत्पादन शुरू हो गया है। अब मैनेजमेंट दूसरे ब्लॉक को लेकर प्लान बनाने में जुट गई है। दूसरे ब्लॉक से विद्युत उत्पादन के लिए जमीन और आवश्यक संसाधन मौजूद है। जरूरत के मुताबिक बिजली, कोयला और पानी का समझौता बढ़ाने की बात चल रही है। जरूरी संसाधन श सरकार बिजली उत्पादन के दूसरे चरण के लिए उपलब्ध कराएगी। अगले वित्तीय साल में बिजली उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।