देश के हर नागरिक के पास आने वाले समय में सिंगल डिजिटल आईडी होगी। इससे आधार, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट सहित तमाम कागजात एक दूसरे से जुड़े होंगे। वेरिफिकेशन के लिए अलग-अलग कागजात देने की आवश्यकता नहीं होगी। इसी नई तकनीक पर इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय पहल कर रहा है। MeitY ने केंद्रीकृत डिजिटल पहचान का नया मॉडल प्रस्तावित किया गया है।
प्रस्तावित मॉडल में मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि यह एकीकृत डिजिटल पहचान लोगों को इन पहचानों पत्रों को नियंत्रण में रखकर सशक्त बनाएगी और उन्हें यह चुनने का विकल्प देगी कि किस मकसद के लिए किसको उपयोग में लाना है। शीघ्र ही प्रस्ताव के सार्वजनिक होने की संभावना है। 27 फरवरी तक मंत्रालय लोगों की प्रतिक्रियाएं मांगेगा।
इस एकीकृत डिजिटल पहचान के तहत केंद्र के साथ ही अलग-अलग राज्यों के पहचान पत्रों को लिंक किया जाएगा। इसके अलावे ईकेवाईसी (EKYC) के माध्यम से इस डिजिटल आईडी का यूज अन्य थर्ड पार्टी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। आम लोगों के कागजात को एक दूसरे से लिंक किए जाएंगे, जो मसौदा प्रस्ताव के अनुसार बार-बार सत्यापन प्रक्रिया की जरूरत को समाप्त कर देगा।
बता दें कि मंत्रालय ने इंडिया एंटरप्राइज आर्किटेक्चर (इंडईए) 2.0 के तहत प्रस्ताव पेश किया है। पहली बार 2017 में इंडईए सरकारी संगठनों के कारोबारी दृष्टिकोण के साथ आईटी विकास को सक्षम करने के लिए” प्रस्तावित और डिजाइन किया गया था। तब इसे अपडेट किया गया है। 2.0 एडिशन में InDEA एक ऐसे ढांचे का प्रस्ताव करता है, जो पब्लिक और साथ ही प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को “ग्राहकों को समग्र और एकीकृत सेवाएं” देने के लिए “जो उनकी संगठनात्मक सीमाओं से परे हो सकता है” आईटी वास्तुकला का निर्माण और डिजाइन करने में सामर्थ्य है।