बिहार के जमुई में देश का सबसे बड़ा सोना भंडार है। जमुई के स्वर्ण भंडार के खनन के लिए बिहार सरकार जल्द ही केंद्रीय एजेंसी से मदद लेना और उनसे एमओयू करवाएगा। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक बिहार में 37.6 टन धातु युक्त अयस्क 223 मिलियन टन स्वर्ण धातु है। यह 44 प्रतिशत है। 1 अप्रैल 2015 तक देश में प्राथमिक अयस्क का 501.83 मिलियन टन संसाधन होने का आंकलन है। इसमें 654.74 टन स्वर्ण धातु है। बिहार में सोना का पूरा भंडार जमुई के सोनो इलाके में है।
खान एवं भूतत्व विभाग के प्रधान सचिव हरजीत कौर बताते हैं कि बिहार सरकार जमुई जिले के स्वर्ण भंडार के खनन के लिए योजना पर तेजी से काम कर रही है। इसके लिए केंद्रीय एजेंसी से मदद लिया जाएगा। नेशनल मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन से भी बिहार में संपर्क किया है। यहां g3 उत्खनन की तैयारी है। कुछ इलाके में जी-टू खनन की भी योजना है। उन्होंने बताया कि बिहार में सोना भंडार का प्रारंभिक खनन 1981-82 में किया गया। लेकिन सोना की मात्रा कम होने के बाद से आगे की कोई कार्रवाई नहीं हो सका।
बीते दिनों ही देश के खान, कोयला एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संसद में जानकारी दी थी कि देश का सबसे बड़ा सोना भंडार बिहार के जमुई में है। इसके इन संसाधनों को संयुक्त राष्ट्र फ्रेम वर्गीकरण कोड-334 (16 टन धातु युक्त 94 मिलियन टन) और कोड-333 ( 21.6 टन धातु युक्त 128.88 मिलियन टन) के तहत वर्गवाइज किया गया है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में सोना सहित दूसरे धातुओं की खुदाई करने से जुड़े हुए नियम में फेरबदल किया है। नियम में गहराई में दवे सोने सहित दूसरे धातुओं के लिए g4 स्तर का लाइसेंस निर्गत करने के लिए नीलामी हो सके। खनन के सेक्टर में उन्नत तकनीक के तहत निजी सेक्टर की अधिक भागीदारी और खनिजों की खोज के आसार है। इससे सोने को निकालने वाली राशि में कम खर्च होने की उम्मीद है।
नेशनल मिनरल इंवेंटरी डाटा के अनुसार 1 अप्रैल 2015 तक सोना अयस्क का टोटल भंडार 50.183 करोड़ टन है। इनमें से सुरक्षित श्रेणी में 1.722 करोड़ टन को और बाकी को संसाधनों के वर्ग में रखा गया है। बिहार में 44 प्रतिशत, उसके बाद राजस्थान में 25 प्रतिशत और कर्नाटक में 21 प्रतिशत मौजूद है। आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 3-3 प्रतिशत और झारखंड में 2 प्रतिशत है। अयस्क का बाकी 2 प्रतिशत हिस्सा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र केरल, और तमिलनाडु में है। प्रकृति के अनुसार ही खुदाई में खर्च की लागत आती है।