जिद, जुनून और जज्बा जिस इंसान के अंदर घर कर जाता है, यकीनन सफलता उसके कदमों को चूमती है। तमाम मुसीबतों के बाबजूद भी जिनके हौंसले फौलाद की तरह बुलंद रहते हैं, उनके सपना जरूर साकार होता है। ऐसी ही एक संघर्ष की कहानी है इल्मा अफरोज की।
इल्मा अफरोज उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की हैं। पिता के गुजर जाने के बाद अपने भाई और मां के साथ खेतों में काम करने लगी। लेकिन इल्मा ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा। जहां लोगों को सिविल सर्विसेज की तैयारी करने में कई वर्षों बीते जाते हैं वहां इल्मा अफरोज ने गांव में ही पढ़ाई कर पहले ही प्रयास में UPSC में 217वीं रैंक हासिल किया।
गांव में रहने वाली इल्मा ने दिल्ली से ग्रेजुएशन किया। इल्मा की कड़ी मेहनत की बदौलत उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिली और उन्होंने वहां से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई करने वाली इल्मा के लिए न्यूयॉर्क जैसे चकाचौंध वाले शहर में समय गुजारना काफी कठिनाइयों से भरा रहा।
इल्मा लंदन में अपने बाकी खर्चें को पूरे करने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करती थी तो कभी छोटे बच्चों की देखभाल का भी काम करती थी। इल्मा ने अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखें बाबजूद इसके कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अब इल्मा अफरोज हिमाचल प्रदेश कैडर में आईपीएस अधिकारी हैं।