दरभंगा में बनने वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निर्माण में हो रही विलंब को लेकर जिला प्रशासन एक्टिव हुआ है। लंबे दिनों से अंधेर में पड़ी दरभंगा एम्स की फाइल फिर से टेबुल पर आयी तथा उसकी समीक्षा हुई है। दरभंगा एम्स के निदेशक एम्स निर्माण को लेकर एक्टिव दिख रहे हैं। गुरुवार को जिलाधिकारी राजीव रौशन और एम्स के कार्यपालक निदेशक माधवानंद कर की संयुक्त नेतृत्व में समाहरणालय में एक मीटिंग हुई। इसमें डीएम ने संबंधित अधिकारियों से एम्स निर्माण कार्य के प्रगति के संबंध में जानकारी ली।
मीटिंग में पाया गया कि बीएमएसआइसीएल के द्वारा कराए जाने वाले काम की प्रगति सुस्त है। डीएम ने इस पर असंतोष व्यक्त किया। उन्हें निर्देशित किया गया है कि काम में तेजी लाएं। मिट्टी भरने और खाली भवनों को तोड़ने का कार्य हर सूरत में 30 नवंबर तक पूरा करने का आदेश दिया। पथ निर्माण विभाग के पुराने खाली पड़े क्वार्टर को तत्काल तोड़ने का फैसला लिया गया।
इसके साथ दरभंगा के डीएम ने बीएमएसआइसीएल को जल्द नया हॉस्टल बनाने का आदेश दिया, जिससे पुराने हॉस्टल को खाली करवाकर एम्स को सौंपा जा सके। डीएम ने कहा है कि एम्स बनाने को लेकर जो सक्रियता एवन तत्परता दिखनी चाहिए वो बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रही है। न भवन का निर्माण निर्धारित अवधि पर पूरा हो रहा है ना ही मिट्टी की भराई अभी तक हो सकी है। हर हाल में एम्स निर्माण के लिए हो रहे अलग-अलग कार्यों की रफ्तार बढ़ायी जाये।
मीटिंग में उप विकास आयुक्त अमृषा बैंस, विशेष कार्य पदाधिकारी सत्यम सहाय, अपर समाहर्ता राजेश झा राजा, महाप्रबंधक बीएसएनल, डाक अधीक्षक डीएमसीएच, डीएमसीएच के प्राचार्य डॉ कृपा नाथ मिश्र अधीक्षक डॉ हरिशंकर मिश्र, उप महाप्रबंधक बीएमएसआइसीएल, कार्यपालक अभियंता पथ निर्माण विभाग, कार्यपालक अभियंता पीएचइडी, कार्यपालक अभियंता शहरी विद्युत आपूर्ति, मुख्य प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक डीएमसीएच और दूसरे अफसर मौजूद थे।