जैसा हम देखते है कि, भारत में लड़कियों को लेकर कई भारतीय सामाजिक पाबंदियाँ हमे देखने को मिलती रही हैं, वही से प्रथम प्रयास में UPSC क्रैक कर लेना कोई आसान बात नहीं है। इस संदर्भ में निशा काफी भाग्यशाली रहीं, क्योकि घर के सदस्यों का सहयोग और निशा की पूरी मेहनत ने उन्हें उस मुकाम पर पहले ही कोशिश में सफलता दिला दी, जहाँ काफी कोशिशों के पश्चात भी बहुत से लोग सफल नही हो पाते हैं।
परिवार के सभी सदस्यों से मिला सहयोग
आपको बता दें कि निशा के पिता जी बिजली विभाग में कार्यरत हैं और उनकी माँ घरेलू गृहणी हैं। निशा शुरू से ही शिक्षा क्षेत्र में काफ़ी अच्छी थी और निशा के दादा रामफल ने निशा का बहुत ही ज्यादा साथ निभाया। निशा राजनीति विज्ञान से स्नातक हैं। शुरू से हीं निशा अपने लक्ष्य को लेकर काफी दृढसंकल्पित थी और UPSC एग्जाम के लिए पूर्ण रूप से तैयार थी।
दादा ने निशा के UPSC एग्जाम की करवाई तैयारी
परिवार के सदस्यों में उनके दादा ने निशा को बहुत ही सपोर्ट किया। UPSC पास करने के पश्चात निशा ने अपने दादा जी को ही क्रेडिट दिया था। निशा के दादा जी एक शिक्षक थे। निशा की जब अध्ययन की बारी आई तो दादा जी हर कदम पर निशा का साथ निभाया। 24 घंटे निशा के लिए वो शिक्षक के रूप में बने रहें। निशा की तैयारी बचपन से ही उनके दादा जी के पूर्ण नेतृत्व में चलने लगी थी। निशा के दादा जी गणित के शिक्षक थे, गणित के साथ ही उन्होंने और सभी विषयों पर भी उन्हें जानकारी उपलब्ध करवायी।