जमालपुर में नगर परिषद इलाके में कचरे की महक से जहां लोगों की परेशानी होती थी वही बरसात के दिनों में बीमारियों का घर होने का मुख्य कारण था, वही अब यह कृषि के लिए उपयोगी साबित होगा। शहर से निकलन रहे कचरे का स्थाई रूप से समाधान निकालकर नगर निगम प्रशासन ने अहम निर्णय लिया है। नगर परिषद में गीले कचरे से जैविक खाद तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कचरे से जैविक खाद तैयार करने के लिए 12 एरोबिक बायो कंपोस्टर की। स्थापना की गई है। अब कचरे से जैबिक खाद तैयार होगा।
नगर परिषद प्रशासन का कहना है कि यह प्रयोग कामयाब रहता है तो कंपोस्टर सभी वार्डों में लगाए जाएंगे। कंपोस्टर से जैविक खाद तैयार करने के लिए ना बिजली की आवश्यकता है ना ही मानव बल की। कंपोस्टर में कचरा रखे जाने के 21 दिन बाद खाद बनकर तैयार हो जाएगा। एक कंपोस्टर को लगाने के लिए केवल 10 स्क्वायर फीट भूमि की जरूरत है। यह कंपोस्टर लगाने पर दो लाख की राशि खर्च होती है।
एरोबिक बायो कंपोस्टर में 500 क्विंटल क्षमता वाले तीन खाने हैं। डेड एमटी कचरा तीनों खानों में रखा जाएगा। एक कंपोस्टर में तकरीबन 200 घरों का गीला कचरा का निवारण होगा। गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बनाने के लिए एरोबिक बायो कंपोस्टर स्थापित करने में अधिक जगह की जरूरत नहीं है। इससे सबसे ज्यादा लाभ किसानों को होगा। उन्हें कम रेट पर कृषि के लिए खाद उपलब्ध होंगे। नगर परिषद के राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
जमालपुर नगर परिषद की नगर कार्यपालक पदाधिकारी पूजा माला ने कहा कि कर्मियों को एरोबिक बायो कंपोस्टर स्थापित करने के लिए ट्रेनिंग दिया गया है। अभी 12 स्थानों पर इसे लगाया गया है। शहर के तमाम वार्डों में लगाने का टारगेट है। एक कम पोस्टर पर दो लाख खर्च होते हैं। होल्डिंग धारकों से आग्रह है कि सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग रखें। लोगों के घर-घर जाकर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं जागरूक करेगी। वहीं मौजूदा एनजीओ का काम संतोषप्रद नहीं होने की वजह से दूसरे एनजीओ को अवसर दिया जा रहा है।