ऐसी संभावना जताई जा रही है कि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान को लुटियन जोन के 12 जनपथ स्थित दिवंगत रामविलास पासवान के बंगले से बेदखल होना पड़े। चिराग पासवान के चाचा पशुपति के इनकार से अब वह बंगला आरसीपी को आवंटित किया जा सकता है। अगर चिराग को उस बंगले को छोड़ना पड़ता है तो करीब 30 साल बाद ऐसा होगा कि चिराग को दिल्ली के किसी दूसरे मकान में रहना पड़ेगा।
चिराग के लिए बुरी खबर यह भी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बने पशुपति कुमार पारस ने इस बंगले में रहने से मना कर दिया है। वजह है कि पशुपति पारस अपने बड़े भाई राम विलास पासवान के पर्याय की तरह रहे आवास में नहीं रहना चाहते इसलिए पशुपति कुमार पारस ने इस बंगले में रहने से मना कर दिया है। यहाँ रहने पर उनके भाई रामविलास पासवान की कमी उन्हें उन्हें असहज कर सकती है।
चिराग पासवान के लिए बुरी खबर इसलिए है कि अगर पशुपति पारस इस मकान में रहने जाते तो उन्हें राजनीतिक लाभ मिलता।ऐसे में चिराग सहानुभूति जुटाने के लिए लोगों से कहते कि चाचा मुझे पार्टी से बेदखल करने का प्रयास तो कर ही रहे हैं साथ ही मुझे बेघर भी कर दिया। ऐसे में चिराग को बिहार के लोगों से सहानुभूति मिलने की उम्मीद थी। हालांकि, उन्हें अगर बंगला खाली करने के लिए कहा जाएगा तो सहानुभूति हासिल करने के लिए कुछ न कुछ जरूर करेंगे।
जनपथ स्थित 12 नम्बर का यह मकान जिसमे चिराग पासवान पिछले 30 सालों से रह रहे है वो केंद्र सरकार के शहरी मंत्रालय का है। यह केंद्रीय मंत्री या उसके स्तर के लोगों के लिए निर्धारित है। पर चिराग पासवान महज सांसद हैं ऐसे में चिराग इस बंगले में नहीं रह सकते। वीपी सिंह के कैबिनेट में मंत्री रहने के दौरान यह बंगला रामविलास पासवान को आवंटित किया गया था। तब चिराग महज 8 साल के थे। वे उसी उम्र में माता-पिता के साथ इस बंगले में अब तक रहते आए है। चिराग की बचपन से अब तक कि यादें इस बंगले से जुड़ी हुई है।