अपने कामों के प्रति ईमानदारी और सजगता ही आदमी को महान बनाती है। इसे साबित किया है इस बुजुर्ग डाकिए ने। पहाड़ के दुर्गम रास्तों और घने जंगलों के बीच रोजाना 15 किलोमीटर पैदल चलकर अपने काम को बखूबी अंजाम देने वाले इस बुजुर्ग की कहानी लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है। जिस शिद्दत से इन्होंने अपने काम को बखूबी निभाया है। अब लोग इनके लिए भारत रत्न और पद्म श्री सम्मान की मांग कर रहे हैं।
पेशे से डाकिया डी. सिवन तमिलनाडु के हैं। सरकार ने इन्हें तमिलनाडु के दुर्गम पहाड़ियों में नियुक्ति की थी। सिवन के लिए या बेहद मुश्किल भरा काम था। रोजाना घने जंगलो और दुर्गम पहाड़ियों के बीच 15 किलोमीटर की पैदल सफर तय कर लोगों तक पत्र पहुंचाने का काम सीवन को करने में थोड़ी भी हिचक नहीं होती थी। कई बार तो ऐसा होता था जब जंगल से गुजरते वक्त जंगली जानवरों का सामना करना पड़ता था। फिर भी सिवन अपने काम के प्रति इतने सजग कि इन सब की बिना परवाह किए अपने कामों को बखूबी अंजाम देते रहें।
लगभग तीन दशक तक उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाई। पिछले हफ्ते ही सीवन रिटायर्ड हो गए हैं। एक शख्स ने उनकी तारीफ में लिखा है कि साल 2018 में मैंने उनका साक्षात्कार लिया था। सिवान भारत रत्न के हकदार है, अगर भारत रत्न नहीं तो कम से कम पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिए। डी सीवन लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।