सोनाचूर चावल के लिए सुप्रसिद्ध बक्सर जिले के खेत अब काला नमक चावल की खुशबू बिखरेंगे। किसानों द्वारा काला नमक चावल की खेती करने की मुहिम सफल होती दिख रही है। जिले की मिट्टी को जब जांच किया गया तब काला नमक चावल की खेती करने के अनुकूल पाया गया, जिसे देखते हुए अगले सीजन में 500 हेक्टेयर भूखंड में काला नमक चावल की खेती करने का लक्ष्य तय किया गया है। इस खेती के प्रति किसानों में बढ़ते रुझान को देखते हुए बक्सर काला नमक चावल का हब बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।
बता दें कि राज्य के बक्सर जिले को धान का कटोरा कहा जाता है। पहले तो यहां के सोनाचूर व बासमती चावल की डिमांड पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश तक होती थी, लेकिन लागत के अनुसार उपज नहीं होने से सोनाचूर व बासमती चावल की खेती करने से किसान दूर होते चले गए। आमतौर पर जिले के किसान मंसूरी धान की अलग-अलग किस्मों के चावल की खेती करते हैं। काला नमक चावल की खेती करने को लेकर कुछ किसान आगे आए हैं। अच्छी उपज और काला नमक चावल की अच्छा मूल्य मिलने को देखते हुए खेती का रकबा भी बढ़ रहा है।
काला नमक चावल की खेती के प्रति किसानों में रुझान को देखते हुए कृषि विभाग ने जब मिट्टी की जांच कराई। जिले के सभी प्रखंडों में जांच में काला नमक चावल की खेती करने के लिए मिट्टी बेहद अनुकूल पाई गई। इसके साथ ही मौसम भी इसके अनुरूप पाया गया, जिसे देखते हुए कृषि विभाग ने अब काला नमक चावल की वृहद स्तर पर खेती करने की पहल की है। किसानों को इसके लिए ट्रेनिंग भी दिया जाएगा।
इटाढ़ी के बसांव खुर्द के किसान रामाकांत बताते हैं कि पीछले सीजन में काला नमक धान की खेती की गई। एक बिगहा में 12 से 15 क्विंटल धान की उपज हुई है। पहली बार प्रयोग के रुप में काला नमक चावल की खेती करते समय मन डोल रहा था, लेकिन अच्छी उपज होने से हौंसला बढ़ा है। कृषि विज्ञानी, डा. देवकरण का कहना है कि विशिष्ट गुणों व खुशबू के लिए काला-नमक प्रजाति प्रसिद्ध है। यह बक्सर की मिट्टी व मौसम के अनुसार है। अच्छी उपज को देखकर इसकी खेती को बढ़ावा देने का काम जारी है।