इस साल स्वतंत्रा दिवस के मौके पर मुजफ्फरपुर का तिरंगा कश्मीर में लहराएगा। झंडे की आपूर्ति के लिए खादी ग्रामोद्योग आश्रम, श्रीनगर के साथ समझौता हुआ है। बता दें कि इन दिनों लगभग 100 की संख्या में कारीगर तिरंगे की सिलाई तथा चक्र की छपाई में जुटे हुए हैं। लगभग 400 तिरंगा भेजने की तैयारी है।
ठंड के दिनों में प्रति वर्ष जिला खादी बिक्री केंद्र से लगभग एक करोड़ के गर्म कपड़ों का व्यापार होता है। इसमें कश्मीर की हिस्सेदारी लगभग 25 लाख रुपए की होती है। इनमें कंबल, जैकेट, मफलर, शाल स्वेटर सहित अन्य कपड़े होते हैं। इसके बदले में यहां से लगभग डेढ़ लाख कीमत के तिरंगे भेजने पर बात बनी है। दो साइज में (तीन गुणा साढ़े चार और दो गुणा तीन फीट) बाले तिरंगे बनाए जा रहे हैं। बीरेंद्र कुमार (सचिव, मुजफ्फरपुर जिला खादी ग्रामोद्योग संघ) ने कहा कि कि तिरंगे भेजने का काम 8 जुलाई से शुरू होगा।
कश्मीर के साथ ही बिहार, राजस्थान और हरियाणा के कई शहरों से तिरंगा तथा टेबल और कार फ्लेग भेजने की योजना है। इस बार लगभग 12 लाख रुपए के व्यवसाय का टारगेट है। बीते वर्ष पटना, पानीपत, धनबाद, मधुबनी, प्रयागराज सहित कई शहरों में भेजे गए थे। इसमें लगभग 7 लाख रुपए का कारोबार हुआ।
बीरेंद्र कुमार बताते हैं कि पिछले छह से सात सालों में खादी की बिक्री में दो से ढ़ाई गुना बढ़ोतरी हुई है। गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली के पूर्व सचिव डा. सुरेंद्र कुमार ने कहा कि खादी के एडवरटाइजिंग में मुजफ्फरपुर खादी ग्राम उद्योग केंद्र ने अहम भूमिका निभाई है। मुजफ्फरपुर में चार गुना छह फीट के साइज वाला तिरंगा कर्नाटक के हुबली और मुंबई से मंगाया जाता है। इसे मार्केट में मुंबईया खादी के नाम से लोग जानते हैं। इस साल 7 लाख रुपए का कारोबार होने का लक्ष्य है। स्थानीय बाजार से भी कड़ी टक्कर मिल रही है।