करीब 20 साल पहले बेतिया का कुख्यात राजू और अरमान एक व्यापारी से पैसे वसूल करने पटना आए थे। पुलिस ने अपराधियों की घेराबंदी की। जिसे देख अपराधियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। इसी बीच अलाउद्दीन को 5 गोलि यां लगी। इसके बावजूद अलउद्दीन ने दोनों अपराधियों को मार गिराया। यह कहानी पटना में CID विभाग में DSP की है जो अपराधियों से मुठभेड़ में अपनी दोनों पैर गंवा बैठे। वे आज दोनों पैरे पर खड़े नहीं हो पा रहे हैं। दिव्यांग होने के बावजूद भी वे रोज ड्यूटी पर आ रहे हैं। उनके इस जज्बे को सलाम किया जा रहा है। वरीय अधिकारी पुलिसकर्मियों को अलाउद्दीन की मिशाल देते हैं।
कई बार हो चुके हैं सम्मानित
वर्ष 2001 में बिहार सरकार से उन्हें उत्कृष्ट पुलिस सम्मान से भी नवाजा गया था। सिर्फ इतना ही नहीं वे अपनी बहादुरी के लिए इन्होंने सोनपुर मेले में भी कई सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। इस आधार पर सरकार उन्हें गैलेंट्री अवार्ड देते हुए इंस्पेक्टर और फिर डीएसपी बना दिया।
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1994 में दारोगा बने थे
डीएसपी ने बताया कि एक समय ऐसा भी था जब इनका हौसला पूरी तरह टूट चुका था। अपने दोनों पैर खोने के बाद DSP अपनी जीने की इच्छा छोड़ दी थी। इसके बाद इन्होंने अपनी पूरी ताकत अपनी जिंदगी जीने की लगा दी और आज यह लोगों के बीच पुलिस विभाग एक मिसाल बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि सीआईडी विभाग में काम करते हुए इन्होंने पुलिस विभाग के लोगों के दुख दर्द को समझा और अब वे इसके लिए लगातार जो पुलिस पदाधिकारी रिटायरमेंट के कगार पर पहुंच चुके हैं उनका वेतन पेंशन सहित कई मामलों के निष्पादन में अपना पूरा सहयोग देते हैं। पुलिस विभाग में काम करने वाले लोगों को चाहिए कि वे लोगों के विश्वास पर खरा उतरे। तब ही आम लोगों का पुलिस पर विश्वास बढ़ेगा और लोग पुलिस को सम्मान की नजर से देखेंगे।