इसी साल के आखिर से देश की पहली ट्रांजिट रैपिड रेल चलनी शुरू हो जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो दिसंबर महीने से रेल दुहाई से साहिबाबाद स्टेशन के बीच चलेगी। फिर साल 2025 तक 82 किलोमीटर लंबा कोरिडोर और पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगा। शुरुआत में इस रेल में छह डिब्बे होंगे। यात्रियों की संख्या बढ़ने व सामान लाने और ले जाने की मांग बढ़ने पर डिब्बे भी बढ़ाए जाएंगे। ज्यादा से ज्यादा रेल में 9 डिब्बे ही रहेंगे।
गुजरात में इस कॉरिडोर पर चलने के लिए छह डिब्बे की रैपिड रेल बनाया जा रहा है। बताते चलें कि मेरठ शहर की मेट्रो भी इसी पटरी पर दौड़ेगी। मिली जानकारी के अनुसार तीन डिब्बों वाली मेट्रो मेरठ में चलेगी। इसका नाम लाइट मेट्रो रखा जाएगा। दैनिक जागरण अखबार में छपी खबर के अनुसार यह भारत की पहली रीजनल ट्रांजिट रैपिड रेल है। इसके शुरू होने से दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण शहरों की दूरी भी कम हो जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन बाजार के पार्सल वाले सामान भी रेल से जाएंगे। रेल परिचालन शुरू होने के बाद कुछ महीने बाद डिब्बों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम के अध्ययन के मुताबिक रिपीटेशन से दिल्ली बा मेरठ के बीच पार्सल वाले सामान भी अधिक संख्या में भेजे जाएंगे। लिहाजा इसके लिए सभी डिपो वाले जगहों पर वेयरहाउस भी बनाया जाएगा। सामान की बुकिंग से लेकर एनसीआरटीसी को भी फायदा होगा।
एनसीआर परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह बताते हैं कि रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम चलाने के पीछे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करोड़ों की आबादी के लिए तेज, आरामदायक और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन सुविधा प्रदान करके उनके जीवनशैली की गुणवत्ता में सुधार लाना मुख्य मकसद है। बता दें कि आरआरटीएस एक नई रेल आधारित प्रणाली है जो दिल्ली को मेरठ, अलवर और पानीपत जैसे इलाके वाले नोड्स से गति के साथ जोड़ेगी और वर्तमान यात्रा समय को एक तिहाई कर देगी।
पारंपरिक रेलवे और मेट्रो से आरआरटीएस अलग है। सफर करने वाले लोगों को कम स्टॉपेज और तेज रफ्तार के साथ लंबी दूरी की यात्रा करने में यह सुविधा उपलब्ध कराएगा। आरआरटीएस के तीनों कारिडोर भी इंटरओपरेबल बनाए जा रहे हैं, इससे यात्रियों को एक कारिडोर से दूसरे कारिडोर में जाने के लिए ट्रेन बदलने की आवश्यकता नहीं होगी। आरआरटीएस स्टेशनों का ट्रांसपोर्ट के अन्य साधनों जैसे मेट्रो स्टेशनों, बस डिपो, हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशनों के साथ एकीकरण भी किया जा रहा है।