बिहार में नन-क्रीमीलेयर प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने वाले लोगों के लिए सरकार ने राहत दी है। किसी प्रकार की नौकरी के लिए आवेदन करने वाले लोगों को अब नन-क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र बनवाने में अलग से जाति, आवासीय व आय प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। नन-क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट प्रमाणपत्र सीधे निर्गत किया जाएगा। इसमें सभी जरूरी बिंदु अंकित रहेंगे। इसमें आवेदक के माता पिता के वेतन या पेंशन से जुड़ी आय व कृषि से होने वाली आय को नहीं जोड़ा जाएगा।
केंद्र सरकार के नन- क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र बनाने में निर्देश का पालन नहीं होने पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने स्पष्टीकरण मांगा था जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी डीएम, प्रमंडलीय आयुक्त, चयन आयोग, अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव व सचिव को स्पष्टीकरण पत्र भेज दिया है। पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष डा. भगवान लाल सहनी ने कहा कि नन-क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र बनाने से पहले जाति प्रमाणपत्र, आवासीय प्रमाणपत्र एवं आय प्रमाणपत्र बनवाना पड़ता है। जिससे काफी मशक्कत करना पड़ता है। केंद्र सरकार के आदेश के बावजूद भी सर्टिफिकेट में पिता के वेतन-पेंशन एवं कृषि से होने वाली आय को जोड़ दिया जाता था।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भगवान लाल सहनी ने कहा कि राज्य में परीक्षा, इंटरव्यू व बहाली प्रक्रिया में कोडिंग सिस्टम है, जहां नाम और जाति का कोई भेदभाव नहीं होता है इससे छात्रों को उन्हें न्याय मिलता है। किसी तरह का भेदभाव और पक्षपात के बिना यह व्यवस्था पूरे देश में लागू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार में बीपीएससी व अन्य आयोग के जरिए होने वाली बहाली संघ लोक सेवा आयोग और विभिन्न राज्यों के आयोग में प्रतीक्षा सूची जारी की जाती है, ऐसे बीपीएससी को भी प्रतीक्षा सूची पर सोचना चाहिए, जहां मेधा सूची के आधार पर हर वर्ग के छात्रों को न्याय मिलेगा।