हस्ताक्षर हेतु पिता को कलेक्टर ऑफिस में चक्कर लगाते देख बेटी ने किया संकल्प, खुद बन गई कलेक्टर

कोई भी सरकारी कार्यालय में हस्ताक्षर कराने हेतु निरंतर ठोकरें खाना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। यह सच्चाई है आपको कोई भी प्रमाण पत्र बनाना हो , स्वीकृति लेनी हो या तो किसी अन्य डॉक्युमेंट पर अफसरों या कर्मचारियों के हस्ताक्षर की आवश्यकता हो तो जनता को बेवजह भटकना पड़ता है। आज आपको हम इसी से संबंधित एक लड़की रोहिणी भाजीभाकरे की कहानी आपके समक्ष साझा कर रहे है जिसने अपने पिता को सरकारी कार्यालयों में हस्ताक्षर करने एवं अन्य कार्य करवाने के लिए चक्कर लगाते हुए देखा जो उसे काफी व्यथित कर डाला और उसने खुद एक IAS अधिकारी बनकर सफलता की झंडे को लहराया।

आपको बता दे कि रोहिणी भाजीभाकरे महाराष्ट्र के एक किसान परिवार से आती हैं। रोहिणी भाजीभाकरे के पिता जी एक किसान हैं। उनकी शुरु की शिक्षा सरकारी स्कूल से पूर्ण हुई। इसके पश्चात इन्होंने अपने कठिन परिश्रम से सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन लेने में सफल रहीं। इसके पश्चात रोहिणी भाजीभाकरे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लग गईं। रोहिणी भाजीभाकरे खुद के दम पर अध्ययन कीं , वह आईएएस के एग्जाम पास कीं। रोहिणी भाजीभाकरे कहती हैं कि सरकारी स्कूलों में अच्छे अध्यापकों की कोई कमी नहीं है यदि कमी है तो बस सुविधाओं की, जिसे सरकार को सुधारने की जरूरत है।

रोहिणी भाजीभाकरे की IAS बनने की प्रेरणा

जब रोहिणी भाजीभाकरे 9 साल की थीं। उस वक्त सरकार के द्वारा किसानों के लिए बहुत सी योजनाएँ लाई गई थी। उस योजना का लाभ लेने के लिए रोहिणी के पिता जी को सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों के बीच काफी चक्कर लगाना पड़ रहा था। उस वक्त रोहिणी भाजीभाकरे ने अपने पिता को परेशान देख इसके बारे में बात करते हुए पूछा कि आप क्यूँ परेशान हैं , आप क्या कर रहे हैं , जनता की परेशानी को खत्म करने की जिम्मेदारी किसकी है ? उनके पिता ने कहा “जिला कलेक्टर” ! अपने परेशान पिता से यह शब्द को सुन रोहिणी ने इसे अपना लक्ष्य ही बना लिया और उन्होंने मन हीं मन एक संकल्प लिया कि जिस कार्यालय का हस्ताक्षर लेने हेतु उनके पिता को सरकारी दफ्तर का चक्कर लगाना पड़ रहा है वह वही अधिकारी बन कर ही अपने लक्ष्य को पूरा करेंगी ।

रोहिणी भाजीभाकरे अपने पूरे जिले की प्रथम महिला IAS अधिकारी बनी। अपने पिता जी की बात को याद करते हुए रोहिणी भाजीभाकरे ने अपने लक्ष्य क्षेत्र में डटी रही। अभी वे अच्छी तरह तमिल बोल लेती हैं। उन्हें सबसे पहले मदुरई में जिला ग्रामीण विकास एजेन्सी में अतिरिक्त कलेक्टर और परियोजना अधिकारी के पद पर कार्यभार संभालने का मौका मिला। जिसके पश्चात सेलम जिले में सामाजिक योजनाओं के निदेशक पद पर उन्हें नियुक्त किया गया । रोहिणी अपने सुन्दर स्वभाव और शालीनता से जनता के बीच में काफ़ी प्रसिद्ध हैं। वर्तमान में रोहिणी भाजीभाकरे जनता के बीच तथा विद्यालयों में बच्चों के बीच जाकर उन्हें स्वच्छता के लिए जागरूक करती हैं।

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