बिहार के प्रकृति की गोद मे बसा Valmikinagar ‘बिहार का कश्मीर’ कहा जाता है, जानें क्या है ख़ास

बिहार का कश्मीर: वाल्मीकि नगर


यदि आप अपने जीवन में तनाव से घिरे हैंया अपनी छुट्टियों को प्रकृति की गोद में बिताना चाहते हैं तो आप भी बिहार के पश्चिमी चंपारण स्थित बाल्मीकि नगर का भ्रमण कर सकते हैं जिसे बिहार का कश्मीर की संज्ञा दी गई है।

पहाड़ों और घाटियों के बीच जंगल और उसमें उपस्थित वन्यजीव आपको रोमांच से भर देंगे। नदियों का अनूठा संगम और वहां का सुखद वातावरण आपको एक नई ताजगी तथा सकारात्मक ऊर्जा से भर देगा। खूबसूरत वादियां, नदियों का प्रवाह और धार्मिक आस्थाओं के साथ यह स्थान ” बिहार का कश्मीर” भी कहा जाता है।

बाल्मीकि नगर को भैंसालोटन और बाल्मीकि उद्यान जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह एक राष्ट्रीय उद्यान है। हाथियों की सवारी और नदी के शीतल जल से उनके स्नान का दृश्य पर्यटकों में रोमांच उत्पन्न कर देता है। कहीं मोरो का नृत्य, तो कहीं खूबसूरत हिरणों का समूह, वही कभी रास्ते में वानरों की फौज जो कभी-कभी पर्यटकों के वाहनों के समीप भी आ जाते हैं। दूसरी तरफ चीते की आहट आपकी यात्रा को रोमांचक अंदाज से सरोबार कर जाती है। आइए जानते हैं आखिर क्यों कहते हैं इसे बिहार का कश्मीर।

नामकरण के संबंध में पौराणिक मान्यता:
आदि काल में बीहड़ जंगल में एक खूंखार और भयंकर डाकू रत्नाकर रहा करता था,जो राहगीरों को लूटा करता था और लूटे गए धन से अपने परिवार का भरण पोषण करता था।एक बार नारद मुनि उस रास्ते से गुजरे। उनके मुंह के तेज को देखकर रत्नाकर ने उनसे पूछा-थे ब्राहमण क्या तुम्हें मौत का भय नहीं लगता? तब उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा – नहीं रत्नाकर मुझे जीवन तथा मृत्यु का कोई भय नहीं किंतु शायद तुम यह पाप कर भयभीत रहते हो। यह जो तुम पाप करते हो क्या इस पाप की भागीदारी तुम्हारे परिवार वाले लेंगे? रत्नाकर जाकर अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य से पूछा किंतु किसी ने भी इस बात में उसके साथ भागीदारी की बात स्वीकार नहीं की। इस पर रत्नाकर वापस आकर नारद मुनि के ज्ञान का अनुसरण कर प्रख्यात कवि तथा विश्व के महान व पवित्र ग्रंथ रामायण के रचयिता बने तथा उन्हें बाल्मीकि नाम से जाना गया।
ऐसा माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि से जंगल में निवास करते थे और यही आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर उन्होंने रामायण की रचना की।

आखिर कहां है यह स्थान तथा यहां तक पहुंचने की सुविधा:
बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के अंतिम छोर (उत्तर) में नेपाल की सीमा से सटा यह वाल्मीकि नगर जिला मुख्यालय बेतिया से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहां आप ट्रेन द्वारा बाल्मीकि नगर स्टेशन अथवा बगहा स्टेशन पर उतर कर पहुच सकते हैं, या आप बेतिया (जिला मुख्यालय) से बस द्वारा भी पहुंच सकते हैं।

ठहरने तथा घूमने की सुविधा:
सैलानियों के लिए वन विभाग की तरफ से बहुत ही किफायती दरों पर बंबू हट, ट्री हट, जंगल कैंप और टेंट कैंप आदि में रहने की सुविधाएं दी जाती हैं। वही राफ्टिंग के लिए मोटर बोट्स की सुविधा भी उपलब्ध है तथा जंगल सफारी के लिए सरकारी और प्राइवेट सभी प्रकार की गाड़ियां चलती है, जहां पर्यटक अपनी मर्जी के अनुरूप चयन कर सकते हैं जो काफी सस्ते दरों पर उपलब्ध है।

क्षेत्रफल:
चंपारण गजेटियर के अनुसार लगभग 880 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान पड़ोसी राष्ट्र नेपाल की सीमा से सटा हुआ है। बाल्मीकि नगर किस राष्ट्रीय उद्यान का भीतरी 335 वर्ग किलोमीटर हिस्से को 1990 में देश का 18 वा बाघ अभयारण्य बनाया गया।

वन्य प्राणी:
इस रिजर्व में 28 बाघों को अब तक संरक्षित कर रखा गया है। यहां बाघ,मोर,हिरण,चीता,भालू, सीरो, सांभर,नीलगाय, हायना, हाग डियर,जंगली कुत्ते,एक सिंग वाले राइनोसेरॉस,जंगली बिल्लियां,अजगर आदि पाए जाते है। वही 250 से अधिक पक्षिया भी इस अभयारण्य का हिस्सा है।
यहां चारों तरफ घना जंगल पाया जाता है जिसमें अधिकतर साख के पेड़, मांस तथा आयुर्वेद में उपयोगी वनस्पति भी पाए जाते हैं।

आइए हम यहां उपस्थित भ्रमण स्थलों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जो वास्तव में इसे बिहार का कश्मीर बनाती है:

  • बाल्मीकि नगर बराज
    विद्युत उत्पादन के लिए गंडक नदी के ऊपर एक बांध का निर्माण किया गया है, जिसका उद्घाटन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। गंडक नदी पर बनी बहुउद्देशीय परियोजना जहां 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है और यहां से निकलती नहरों द्वारा उत्तर प्रदेश के हिस्सों में भी सिंचाई की जाती है।
    36 फाटकों के इस बांध में नेपाल तथा भारत की आधी आधी हिस्सेदारी है। इस बराज पर पहुंचने के बाद नदियों के साथ आ रही ठंडी हवाएं मनुष्य को तरोताजा कर देती है। फाटको से काफी तीव्र गति में जल एक कठोर ध्वनि के साथ निष्कासित होता है, जिसे आसानी से देखा जा सकता है।
  • नर देवी मंदिर
    ऐतिहासिक धरोहर के रूप में बाल्मीकि नगर में नर देवी स्थान की ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है।श्रद्धालु वृक्ष पर मन्नत के धागे बांधते हैं और मुराद पूरी होने पर दोबारा दर्शन कर उस धागे को खोल देते हैं।
    इस मंदिर के बारे में या कथा प्रचलित है कि एक प्रतापी राजा जिनका नाम जासर था, उनके भाई का नाम झगड़ु था।राजा जासर के पुत्रों का नाम आल्हा एवं रुदल था जबकि झगड़ों के पुत्र का नाम तो टोडर था। झगड़ु अक्सर अपने भाई राजा जासर से लडता झगड़ता रहता था। उसने अपने पुत्र टोडर को बोला कि जासर की पूजा में विघ्न उत्पन्न करें और ऐसा ही चलता रहा। एक दिन राजा जा सर ने भतीजे से उसकी इच्छा पूछी तो उसने राजा जासर का सर मांग लिया। राजा जासर ने इस बात को मानकर देवी के चरणों में सिर झुका दिया, जहां टोडर ने राजा की बलि दे दी।
    तत्पश्चात इस मंदिर का नाम नर देवी पड गया।
  • शीश महल राधे कृष्ण का यह मंदिर नेपाल में स्थित है,जहां गंडक बराज से ई रिक्शा द्वारा ही नेपाल पहुंचकर इस मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं।मंदिर के चारों तरफ शीशे लगाए गए हैं जहां प्रवेश करने पर व्यक्ति प्रतिबिंबो को देख अचंभित रह जाता है। मंदिर के आगे का दृश्य अत्यंत ही मनोरम है, जहां से धौलागिरी की पहाड़ियों को आसानी से देखा जा सकता है।शीश महल के ठीक बगल में ही बौद्ध धर्म के धर्माथियो के लिए श्री गजेंद्र मोक्ष दिव्य धाम भी अवस्थित है।
  • त्रिवेणी संगम
    गंडक बराज से थोड़ी ही दूरी पर नेपाल में त्रिवेणी संगम है, जहां पर तमसा, सोनभद्र एवं नारायणी नदियां आकर मिलती है। इन नदियों का वर्णन रामायण में भी किया गया है।
    ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।त्रिवेणी संगम के समीप ही बौद्ध भिक्षुओं को शिक्षा दीक्षा प्रदान करने हेतु गुरुकुल भी हैं।
  • बाल्मीकि आश्रम
    बाल्मीकि नगर उद्यान में बराज के समीप ही महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है, जहां श्री राम के त्यागे जाने के बाद मां सीता ने आश्रय लिया था।मां सीता नहीं अपने दोनों पुत्रों” लव”और” कुश” को जन्म दिया था यही नहीं अश्वमेध यज्ञ के दौरान लव कुश ने घोड़े को यही रोका था।
  • इको पार्क
    इको पार्क के रूप में यहां के स्थानीय राज्य सरकार ने आकर्षक पार्क का निर्माण कराया है, जो जंगल कैंप के सामने बनवाया गया है। इस पार्क में बैठने हेतु स्थान तथा बच्चों के झूले भी लगे हैं ।
  • बाल्मिकी नगर का झूला पुल
    एक अन्य आकर्षण केंद्र झूला पुल है जिससे व्यक्ति झूले पर एक छोर से दूसरे छोर तक झूलते हुए जा सकते हैं। जंगल और बच्चों के बीच झूलते हुए पुल पर आप यकीनन काफी आनंद का अनुभव करेंगे।
  • शिव मंदिर
    यहां भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर भी अवस्थित है, जिसका निर्माण बेतिया राज द्वारा कराया गया था। महादेव का यह प्राचीन मंदिर पत्थरों से बनवाया गया है, जो गंडक नदी के तट पर जंगल के बीच स्थित है। मंदिर के समीप शिलालेख का निर्माण भी कराया जा रहा है, जिससे इसके बारे में पर्यटकों को जानकारी प्राप्त हो सके।
  • नेपाल का चितवन नेशनल पार्क
    नेपाल का पहला राष्ट्रीय उद्यान चितवन नेशनल पार्क भी बाल्मीकि नगर के उत्तरी भाग में अवस्थित है, जहां मुख्य रूप से गेंडो का संरक्षण किया जाता है।वाल्मीकि नगर की तरह है यह पार्क भी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है तथा सैलानियों के लिए अत्यंत पसंदीदा स्थान है।
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