असफलताओं से नही मानी हार, 5 साल के संघर्ष के बाद गुंजन द्विवेदी बनी IAS

भारत में सिविल सर्विसेज की तैयारियों का जुनून सर चढ़ कर बोलता है। इस एग्जाम को क्लियर करने के चक्कर में कितने छात्र फर्श से अर्श तक पहुंच जाते हैं तो कितने इस तपती भट्टी में जलकर भस्म हो जाते हैं। ऐसी ही एक संघर्ष और जुनून से भरी कहानी आईएएस गुंजन द्विवेदी की है, जिन्होंने यूपीएससी की तैयारियों में पांच साल दिया। जिनके पिता भी आईएएस अफसर हैं। उनकी कहानी हर किसी को पढ़नी चाहिए।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ से बिलांग करने वाली गुंजन की शुरू से ही आईएएस बनने की चाहत थी। पिता भी भारतीय प्रशासनिक सेवा में अफसर थे। बहन भी सिविल सर्वेंट है। 12वीं की पढ़ाई करने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारियों में जुट गई। साल 2014 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इसके लिए और भी तैयारियां जोर कर दी।

गुंजन द्विवेदी ने वर्ष 2016 में सिविल सर्विसेज की पहली परीक्षा दी। उसमें वो प्रारंभिक परीक्षा को भी पास नहीं कर पाई। दूसरे अटेंप्ट में भी वो प्रारंभिक परीक्षा को भी पास नहीं कर पाई। ऐसे में गुंजन के लिए तैयारियों को अलग रणनीति के तहत करने की जरूरत थी। फिर साल 2018 आया, गुंजन ने पने प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए 9 वी रैंक हासिल कर ली।

गुंजन सफलता के पीछे बताती है, कि उम्मीदवारों को एनसीईआरटी किताबों से आधार मजबूत करने की जरूरत है। इससे काफी फायदा होता है, और अपनी तैयारियों का समयानुसार विश्लेषण करने की जरूरत है। और रिवीजन, राइटिंग प्रैक्टिस जरूरत है। इस से ही सफलता मिलती है।

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